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किसानों द्वारा पराली जलाने के मामले में और प्रशासन द्वारा किसानों को पराली न जलाने देने के मामले में किसान चार कदम आगे चल रहे हैं। प्रशासन यदि डाल-डाल है तो किसान पात-पात हैं। किसान अपने खेतों में फानों में आग लगाने का काम देर शाम या रात को ही करते ह
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शाम ढलने के बाद पराली जलाते हैं किसान सोमवार शाम को भास्कर डिजीटल द्वारा करनाल से कुरुक्षेत्र के जीटी रोड पर आग लगाने की सच्चाई जानने के लिए मुआयना किया गया, तो 7 स्थानों पर खेतों में आग लगी देखी गई। इतना ही नहीं, इन सभी स्थानों पर जीटी रोड से लगभग डेढ़ से 3 किलोमीटर दूर आग लगी हुई थी, लेकिन उसका असर जीटी रोड तक था और वातावरण में धुंआ ही धुंआ दिखाई दे रहा था। किसानों द्वारा यह आग साढ़े 6 बजे के बाद ही लगाई गई थी। आमतौर पर किसान फानों में आग लगाने का काम इसी समय या इसके बाद ही करते हैं और यह वो समय है, जब 9 से 5 की ड्यूटी करने वाले अधिकारी और कर्मचारी अपने घरों को लौट चुके होते हैं।
डीसी राजेश जोगपाल, कुरुक्षेत्र
सैटेलाइट के माध्यम से नजर, भारी भरकम टीम भी मौजूद फसल अवशेष प्रबंधन पर सैटलाइट के माध्यम से भी आगजनी की घटनाओं पर नजर रखी जा रही है। किसानों को जागरूक करने एवं आगजनी की घटनाओं की मॉनिटरिंग के लिए भी संबंधित उपमंडल अधिकारी नागरिक की अध्यक्षता में उपमंडल वाइज टीमें गठित की गई हैं। इन टीमों में तहसीलदार, खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी, उपमंडल अधिकारी पंचायती राज, संबंधित थाना प्रभारी एवं कृषि विभाग के अधिकारी शामिल हैं। जिले के सभी 417 गांवों के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। सभी खंड स्तरों पर 4 सदस्यीय अधिकारियों की टीमों का भी गठन किया गया है। इन टीमों में कृषि विभाग, पुलिस विभाग, पंचायत विभाग तथा कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारी शामिल किए गए हैं।
प्रशासन के प्रयास कागजी स्तर पर, सतही इंतजामों की कमी
दरअसल प्रशासन का यह भारी भरकम अमला कागजी स्तर पर मजबूत है और अधिकारी बंद कमरों में डीसी से आदेश लेते हैं और अपने मातहत अधिकारियों को वे आदेश दे देते हैं। उसके बाद वे अधिकारी अपने नीचे के और वे अपने नीचे के अधिकारियों और कर्मचारियों तक आदेश पहुंचा देते हैं। ऐसे में कागजों में तो इंतजाम मुकम्मल जान पड़ते हैं, लेकिन हकीकत में 6 बजे के बाद खेतों में पड़े फानों में लगाई जाने वाली आग को रोक कर प्रदूषण को काम करने की दिशा में सतही इंतजामों की कमी जान पड़ती है।
आग लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी हुई जिले में अभी तक 71 जगहों पर आगजनी की घटनाओं की सूचना मिली, जिसमें से 45 जगहों पर आगजनी की घटना की पुष्टि हो चुकी है। 40 किसानों पर कार्रवाई के दौरान 1 लाख 12 हजार 500 रुपए का जुर्माना किया जा चुका है तथा 11 किसानों की रेड एंट्री भी दर्ज की गई है। खेतों में आगजनी की घटनाओं के तहत गांव किरमच, गांव सराय सुखी व गांव बीड़ सोंटी के ग्राम सचिवों, सरपंचों व नंबरदारों सहित 26 गांवों के ग्राम सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी किया जा चुका है। साथ ही इनके संबंधित गांवों के थाना प्रबंधकों गांव किरमच के तहत इंस्पेक्टर दिनेश, गांव सराय सुखी के तहत सब इंस्पेक्टर राजपाल, गांव बीड़ सोंटी के तहत एसआई कुलदीप को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
शाहाबाद एसडीएम ने दिए हैं 11 से 4 बजे तक फील्ड में रहने के आदेश उपमंडल अधिकारी नागरिक (एसडीएम) शाहबाद विवेक चौधरी ने फसल अवशेषों को लेकर अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हुए हैं कि सभी अधिकारी फील्ड में रहकर 11 बजे से 4 बजे तक अपने-अपने गांवों का दौरा करेंगे। इसके अलावा सभी पटवारी अपने आवंटित गांवों में जो भी व्यक्ति फसल अवशेषों में आग लगा रहे हैं, उसकी सूचना देंगे ताकि नियमानुसार संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।
डीसी ने कहा- प्रशासन का मकसद चालान काटना नहीं, अवशेषों का निस्तारण करना है उपायुक्त राजेश जोगपाल ने कहा कि जिले में खेतों में अवशेष न जले, इसके लिए शुरू से ही विभिन्न गतिविधियों एवं कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों व आमजन को जागरूक करने का काम किया गया है। संबंधित अधिकारियों की क्षेत्रवार ड्यूटी लगाकर उन्हें इन घटनाओं की सूचना मिलते ही तुरंत मौके पर जाकर कार्रवाई के लिए निर्देश दिए गए हैं। जिला प्रशासन का मकसद किसानों के चालान काटना नहीं है, बल्कि खेतों में पड़े अवशेषों का कृषि यंत्रों के माध्यम से निस्तारण करना है। उन्होंने कहा कि सैटेलाइट के माध्यम से भी आगजनी की घटनाओं पर पैनी नजर रखी जा रही है।
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