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हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार का दंश कांग्रेस को अभी तक चुभ रहा है। किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने भूपेंद्र हुड्डा को लेकर जो बयान दिया है, उससे सियासी संग्राम छिड़ गया है।
कांग्रेस अभी तक हरियाणा विधान सभा चुनाव में मिली हार के सदमे से बाहर नहीं आ पाई है। इस बीच भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के प्रधान गुरनाम चढ़ूनी के बयान ने और बढ़ा दी हैं। चढ़ूनी ने कहाकि हमने कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाया, लेकिन भूपेंद्र हुड्डा की गलतियों से कांग्रेस सरकार नहीं बनी। चढ़ूनी ने कहा कि भूपेंद्र हुड्डा बुद्धिहीन है। उन्होंने कहाकि मुझे टिकट नहीं दिया तो किसी दूसरे दो किसान नेताओं को दे देते। कम से कम लोगों के अंदर मैसेज तो जाता। अब किसान क्या करें, बीजेपी वैसे ही किसानों की दुश्मन है। कांग्रेसी नजदीक नहीं लाते। इसीलिए चुनाव में मैं, रमेश दलाल और हर्ष छिकारा खड़े हुए, लेकिन हम हार गए।
परमात्मा ने हुड्डा को किनारे लगा दिया
गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहाकि पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने उन सभी को साइडलाइन कर दिया, जो पार्टी के वफादार थे। हुड्डा ने रमेश दलाल को साइडलाइन किया, जो राजीव गांधी मर्डर केस अपनी जान जोखिम में डालकर लड़ा था। मुझे, हर्ष छिकारा, बलराज कुंडू को किनारे किया। एक किसान लीडरों को ग्रुप और गया था इसके पास, उन्हें किनारे किया। इसने कुमारी सैलजा, किरण चौधरी, रणदीप सुरजेवाला को किनारे किया। आम आदमी पार्टी को किनारे किया। हुड्डा ने सभी को किनारे किया, परमात्मा ने अब इसे ही किनारे लगा दिया। भूपेंद्र हुड्डा ने किसी से समझौता नहीं किया और कांग्रेस ने सब इनके ऊपर छोड़ दिया। मैं कांग्रेस हाईकमान को कहना चाहता हूं कि विपक्ष का नेता हुड्डा को न बनाएं। पिछले 10 साल हुड्डा ने भूमिका नहीं निभाई, बल्कि किसान यूनियन ने इसका रोल निभाया।
बीजेपी हुई हमलावर
वहीं, गुरनाम चढ़ूनी के बयान के बाद बीजेपी कांग्रेस पर हमलावर हो गई है। बीजेपी के प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा कि चढ़ूनी के बयान से साफ है कि संयुक्त किसान मोर्चा और कांग्रेस के बीच राजनीतिक गठबंधन है। संयुक्त किसान मोर्चा किसानों की नहीं बल्कि राजनीतिक बात कर रहा था। राहुल गांधी और कांग्रेस को किसानों से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने पहली बार खुले तौर पर स्वीकार किया है कि उनका मकसद कांग्रेस के पार्टी के पक्ष में माहौल बनाना था। यह बहुत चिंता की बात है कि कांग्रेस संयुक्त किसान मोर्चा को फ्रंट की तरह इस्तेमाल करना चाहती थी। अब यह स्पष्ट हो चुका है कि संयुक्त किसान मोर्चा किसानों की बात नहीं बल्कि कांग्रेस की बात कर रहा था। चढ़ूनी जैसे लोगों ने कांग्रेस का चोला ओढ़ा हुआ है।
सुरजेवाला बोले, चढ़ूनी हमारी पार्टी में नहीं
भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के प्रधान गुरनाम चढ़ूनी के इस बयान से हरियाणा कांग्रेस बुरी तरह से घिर गई है। हुड्डा विरोधी गुट के नेता सांसद रणदीप सुरजेवाला ने इस मामले में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। सुरजेवाला ने कहा कि चढ़ूनी हमारी पार्टी में नहीं हैं। उनकी अलग पार्टी है। वे अपनी राय रख सकते हैं। मैं क्यों उनके साथ वाद-विवाद में पड़ूं।
चुनाव में जमानत तक नहीं बचा पाए चढ़ूनी
किसानों की आवाज बुलंद करने वाले गुरनाम सिंह चढूनी पेहोवा सीट पर बुरी तरह चुनाव हारे हैं। चढूनी को महज 1 हजार 170 वोट मिले हैं। इस सीट पर कांग्रेस के मनदीप चट्ठा ने जीत दर्ज की है। चढ़ूनी चुनाव में जमानत तक नहीं बचा पाए। चढूनी उन चर्चित किसान नेताओं में शामिल हैं, जिसने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन चलाया था। चढूनी संयुक्त किसान मोर्चा यानी एसकेएम के सदस्य थे, जो 40 कृषि संघों का एक समूह है। इसने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल से अधिक लंबे किसान आंदोलन की अगुवाई की थी, जिन्हें अब रद्द कर दिया गया है। किसान नेता चढूनी ने साल 2021 में अपनी राजनीतिक पार्टी ‘संयुक्त संघर्ष पार्टी’ बनाई थी।
(रिपोर्ट: मोनी देवी)
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