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सोशल मीडिया में किया गया अंतिम पोस्ट
शिक्षक सफदर इमाम ने रोड एक्सिडेंट से कुछ घंटे पहले अपने सोशल मीडिया पर नेतरहाट और बेतला नेशनल पार्क घूमने की कई खूबसूरत तस्वीरें शेयर की थी। पत्नी और बेटे-बेटी व अन्य सदस्यों के साथ कई तस्वीर पोस्ट करते हुए उन्होंने कई लाइनें लिखी थी। लेकिन सबसे भावु
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तुम्हारी तकदीर मेरी है और मेरी तकदीर तुम्हारी, हम साथ जिएंगे, साथ मरेंगे। बेटे के साथ शेयर की गई तस्वीर में उन्होंने लिखा है… हमलोगों में से हर एक फर्क ला सकता है, हम साथ रहे तो बदलाव लाएंगे। इसके अलावा सफदर ने अपनी बेटी के साथ शेयर की गई तस्वीर में लिखा है बेटियां दिन का उजाला हैं आैर दिल की गर्माहट। इतना ही नहीं बेतला से लौटते वक्त प्रकृति की खूबसूरत वादियों के वीडियो के साथ काला पत्थर फिल्म का गाना… एक रास्ता है जिंदगी जो थम गए तो कुछ नहीं… टैग कर अपनी खुशियां बयां की थी। उन्होंने अंतिम पोस्ट सफर के वीडियो के साथ गजल गायब उस्ताद मोहम्मद हुसैन की मशहूर गजल… मुसाफिर हैं हम तो चले जा रहे हैं, बड़ा ही सुहाना बदलता सफर है… पता पूछते हो तो इतना पता है.. हमारा ठिकाना गुलाबी नगर है… टैग करते हुए शेयर किया था।
दुर्घटना की जानकारी मिलते ही उनके जानने वालों को सहसा विश्वास ही नहीं हुआ कि उनकी मौत हो गई है। उनके मित्रों ने बताया कि सफदर एक जिंदादिल इंसान थे। शिक्षकों की समस्याओं को सरकार तक पहुंचाने से लेकर बच्चों को बेहतर तरीके से पढ़ाने और उनकी समस्याओं को दूर करने में वे सदा तत्पर रहते थे।
शोक संवेदना का तांता: सफदर इमाम व उनके पुत्र की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई है। वहीं परिवार के जायन गजनफर, गुलफामशान परवीन, अनिक अंसारी और इबाद अंसारी गंभीर रूप से घायल हैं। घायलों का इलाज रांची के निजी हॉस्पिटल में चल रहा है। मौत की खबर से शिक्षा जगत में शोक की लहर फैल गई। झारखंड राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ के रवींद्र प्रसाद सिंह और यशवंत विजय ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है। झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के नसीम अहमद ने कहा कि सफदर की असामयिक मौत की क्षतिपूर्ति नहीं हो सकती है।
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