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केंद्र सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए स्थानीयकरण नियमों को सख्त करने पर विचार कर रही है। ईवी कंपनियों को अब अधिक स्थानीय पुर्जों का इस्तेमाल करना होगा। कुछ पुर्जों की आयात अनुमति घटाई जाएगी, जबकि…
नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्र सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए स्थानीयकरण नियमों को और सख्त बनाने पर विचार कर रही है। प्रधानमंत्री ई-ड्राइव योजना के तहत ईवी कंपनियों को देश में बनने वाले पुर्जों का पहले से अधिक इस्तेमाल करना अनिवार्य होगा। इन नियमों को पालन करने पर ही कंपनियों को सरकारी सब्सिडी दी जाएगी। बताया जा रहा है कि फेम-2 योजना में ईवी वाहनों में इस्तेमाल होने वाले 18 पुर्जों को आयात करने की अनुमति थी, लेकिन इसे घटाकर अब 12 किया जा सकता है। करीब छह ऐसे पुर्जे होंगे, जिन्हें अभी आयात करने की अनुमति है लेकिन आने वाले दिनों में इन पुर्जों को घरेलू बाजार से ही प्राप्त करना होगा। इसका उद्देश्य भारत में स्थानीय स्तर पर पुर्जों का निर्माण बढ़ाना है ताकि देश में इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को प्रोत्साहन मिल सके।
बैटरी-सेमीकंडक्टर के मामले में अनुमति मिलेगी
वहीं, सेमीकंडक्टर और बैटरी जैसे महत्वपूर्ण पुर्जों को इन नए नियमों से बाहर रखा जा सकता है। यानी इन्हें आयात करने की अनुमति होगी। यह निर्णय इसलिए लिया गया है क्योंकि इन पुर्जों का स्थानीय उत्पादन अभी पूरी तरह से संभव नहीं है।
छह माह का समय मिलेगा
कंपनियों को इन नियमों को लागू करने के लिए छह महीने का समय दिया जाएगा ताकि वे नए प्रावधानों के अनुसार अपने काम को ढाल सकें. इस कदम का मुख्य उद्देश्य भारत को इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में आत्मनिर्भर बनाना और विदेशों से आयात पर निर्भरता को कम करना है।
नियमों का पालन करने को कहा
हाल ही में सरकार को शिकायतें मिली थीं कि कई ईवी निर्माता इलेक्ट्रिक वाहनों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए चरणबद्ध विनिर्माण योजना (पीएमपी) नियमों का पालन किए बिना सब्सिडी का दावा कर रहे थे। भारी उद्योग मंत्रालय द्वारा की गई जांच से पता चला था कि कुछ कंपनियों ने नियमों के विरुद्ध कथित तौर पर आयातित घटकों का इस्तेमाल किया था। सरकार ने अब ईवी निर्माताओं से दिशानिर्देशों का पालन करने को कहा है। सरकार का कहना है फेम-2 योजना की तरह प्रधानमंत्री ई-ड्राइव योजना में विवाद की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए।
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