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जीभ का कैंसर गले तक फैल चुका था। जिसकी जानकारी 52 साल के मरीज को तीन माह पहले हुई। मरीज की जान बचाने के लिए सर्जरी ही विकल्प था। इसके लिए मरीज भी तैयार था, लेकिन तीन प्राइवेट अस्पतालों ने मरीज की सर्जरी करने से इनकार कर दिया था। इसकी वजह मरीज के हार्
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अब दोबारा कैंसर होने की आशंका भी कम सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. सोनवीर गौतम ने बताया कि मरीज की सर्जरी बेहद चुनौती पूर्ण थी। समय का ध्यान रखना बेहद अनिवार्य था। जरा सी देरी से मरीज की मौत हो सकती है। हालांकि सर्जरी सफल रही। मरीज में कैंसर से प्रभावित हिस्से को निकाल कर अलग कर दिया गया है। साथ ही गर्दन की दोनों तरह की गांठों को भी निकाल दिया गया है। जिससे मरीज को भविष्य में कैंसर होने की संभावना बहुत कम हो गई।
भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर(बीएमएचआरसी)
क्या होता है इजेक्शन फ्रैक्शन बीएमएचआरसी के एनेस्थीशियोलॉजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. कनिका सुहाग ने बताया कि इजेक्शन फ्रैक्शन (Ejection Fraction) यह दर्शाता है कि हर धड़कन के साथ हृदय से कितना प्रतिशत रक्त शरीर में पंप हो रहा है। यह हृदय की कार्यक्षमता का संकेत देता है। सामान्य इजेक्शन फ्रैक्शन 50-70% होता है। इससे कम इजेक्शन फ्रैक्शन वाले मरीजों का ऑपरेशन में रिस्क होता है, क्योंकि सर्जरी के दौरान हृदय की पंपिंग क्षमता और रक्त प्रवाह कम हो जाता है, जिससे उन्हें हार्ट अटैक या अन्य जटिलताएं हो सकती हैं।
यह सर्जरी हमारी टीम के उत्कृष्ट समन्वय और कुशलता का परिणाम है। मरीज का इजेक्शन फ्रैक्शन कम होने के कारण सर्जरी अत्यंत जोखिम भरी थी, लेकिन सर्जिकल ऑन्कोलॉजी और एनेस्थीशियोलॉजी विभागों ने मिलकर इस चुनौती को सफलतापूर्वक पूरा किया। हमें गर्व है कि मरीज अब स्वस्थ हैं और दोबारा कैंसर होने की आशंका भी कम हो गई है। बीएमएचआरसी गैस पीड़ित व अन्य मरीजों को उच्चतम चिकित्सा सेवाएं देने के लिए प्रतिबद्ध है। डॉ. मनीषा श्रीवास्तव, प्रभारी निदेशक, बीएमएचआरसी
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