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दिल्ली सरकार ने सर्दी में होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र सरकार से एक बार फिर कृत्रिम बारिश का प्रस्ताव दिया है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने राजधानी में प्रदूषण नियंत्रण के आपातकालीन उपायों के तहत कृत्रिम बारिश कराने के लिए सभी विभागों की बैठक बुलाने की मांग केंद्र से की है।
दिल्ली सरकार ने सर्दी में होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र सरकार से एक बार फिर कृत्रिम बारिश का प्रस्ताव दिया है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने राजधानी में प्रदूषण नियंत्रण के आपातकालीन उपायों के तहत कृत्रिम बारिश कराने के लिए सभी विभागों की बैठक बुलाने की मांग केंद्र से की है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि नवंबर आने में अब कुछ दिन रह गए हैं। इसलिए सभी आवश्यक तैयारियां करनी चाहिए। गोपाल राय ने इससे पहले 30 अगस्त को भी केंद्रीय पर्यावरण मंत्री पत्र लिखकर कृत्रिम बारिश के लिए विभागों के साथ बैठक कराने की मांग की थी।
नवंबर में प्रदूषण की स्थिति घातक
गुरुवार को लिखे पत्र में राय ने कहा कि दिल्ली में नवंबर की शुरुआत से प्रदूषण की स्थिति घातक स्तर तक पहुंच सकती है। गोपाल राय ने कहा कि अगस्त में लिखे गए पत्र में वे प्रस्तुतिकरण भी भेज चुके हैं। इसलिए अब इस पर जल्द से जल्द फैसला लेना चाहिए।
दुनियाभर में प्रयोग होते रहे
कृत्रिम बारिश के प्रयोग दुनियाभर में सफल तरीके से होते रहे हैं। माना जाता है कि इसका पहला प्रयोग अमेरिका में 1946 में हुआ था। कृत्रिम बारिश के लिए मौसम के कई पहलुओं का मौजूद होना जरूरी है। हवा में एक निश्चित मात्रा में नमी और बादल होने पर ही कृत्रिम बारिश के प्रयोग सफल होते हैं। भारत में भी महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश आदि प्रदेशों में कृत्रिम बारिश के प्रयोग किए जा चुके हैं।
एक लाख रुपये प्रति वर्ग किलोमीटर खर्च
प्रदूषण का स्तर ज्यादा होने पर अगर बारिश होती है तो प्रदूषक कण जमीन पर गिरकर बह जाते हैं। पिछले वर्ष आईआईटी कानपुर ने दिल्ली में कृत्रिम बारिश में आने वाले खर्च की भी गणना की थी। कृत्रिम बारिश में एक लाख रुपये प्रति वर्ग किलोमीटर तक का खर्च आ सकता है। दिल्ली का कुल क्षेत्रफल साढ़े चौदह सौ वर्ग किलोमीटर से ज्यादा है। पिछले वर्ष ही दिल्ली सरकार ने इसका खर्च उठाने की बात कही थी।
पराली के धुएं से खराब होगी दिल्ली की हवा
राजधानी दिल्ली में अभी तो हवा मध्यम श्रेणी में चल रही है। लेकिन, उत्तर पश्चिमी हवा के चलते जल्द ही यह खराब श्रेणी में पहुंच सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक दिल्ली की हवा में पराली के धुएं का असर दिखने लगा है।
खुले में कचरा जलाने वालों के खिलाफ अभियान शुरू
नई दिल्ली नगर पालिका परिषद की ओर से गुरुवार को खुले में कचरा जलाने के खिलाफ अभियान शुरू किया। एनडीएमसी की टीमें कचरा जलाने वालों की निगरानी कर रही है। इसके साथ ही एनडीएमसी ने खुले में कचरा जलाने वालों के खिलाफ आम लोगों को भी टोल फ्री नंबर पर शिकायत करने को कहा है।
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