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वारदात को अंजाम देकर भागने वाले बदमाशों की पहचान करने के लिए पुलिस को आने वाले समय में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी। कारण, प्रदेश में बदमाशों-आरोपियों के फिंगर प्रिंट का डिजिटल बैंक बनाया जा रहा है।
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स्टेट क्राइम रिकाॅर्ड ब्यूरो ने अब तक 1.73 लाख डिजिटल फिंगर प्रिंट व पुराने समय में कागजों पर लिए 22 हजार से ज्यादा फिंगर प्रिंट को डिजीटली स्टोर कर लिया है। ऐसे में वारदात कर अपराधी भाग जाएगा तो फिंगर प्रिंट डेटा बैंक से मौके से जुटाए गए फिंगर प्रिंट का मिलान करने पर पता चल जाएगा कि वारदात में कौनसा बदमाश शामिल था। इससे पुलिस को जटिल मामलों के खुलासे में आसानी होगी। पहले एक साल या उससे अधिक की सजा के प्रावधान वाले अपराध में पकड़े जाने पर फिंगर प्रिंट लेते थे, अब हर गिरफ्तार आरोपी के फिंगर प्रिंट लिए जा रहे हैं।
एक क्लिक पर अपराधी का रिकॉर्ड भी देख सकेंगे
फिंगर प्रिंट ब्यूरो प्रभारी अभय पालरिया व प्रोजेक्ट प्रभारी प्रीतम कुमार ने बताया कि अब अपराधी की पूरी कुंडली महज एक क्लिक पर सामने आ सकेगी कि किन-किन थानों में मामले दर्ज हैं और कब-कब गिरफ्तार हो चुका है। अभी तक स्याही से फिंगर प्रिंट लिए जाते थे। इसमें समय ज्यादा लगता था और उन्हें संभाल कर रखना भी बड़ी चुनौती था। किसी भी घटना या अपराध में फिंगर प्रिंट मैच करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था।
जालोर-झालावाड़ सहित कई जिलों में वारदात का खुलासा जालोर में चोरी का आरोपी तेलंगाना में मिला पाली जिले के भारतकुमार ने जालोर में सोने-चांदी के जेवर व नकदी चुराई थी। नौसरा थाने में प्रकरण दर्ज हुआ था। मौके से लिए प्रिंट को डेटा बेस में खोजा तो तेलगांना में दर्ज एक मामले से मिलान हो गया। इस पर पुलिस ने भारत को वहां से गिरफ्तार कर लिया।
जयपुर में चोरी, आरोपी को यूपी से पकड़ा
उत्तर प्रदेश के रहने वाले निवासी अभिषेक ने जयपुर में लाखों के सोने-चांदी व डायमंड आभूषण चुराए थे। फिर यूपी भाग गया। चित्रकूट थाने में दर्ज मामले में मौके से मिले फिंगर प्रिंट को डेटा बेस में खोजा और आरोपी अभिषेक को यूपी से गिरफ्तार कर लिया गया।
झालावाड़ में हत्या कर भागा, एमपी से पकड़ा
झालावाड़ के कोतवाली थाना क्षेत्र में हत्या कर आरोपी बृजेश मध्य प्रदेश भाग गया था। राजस्थान पुलिस ने फिंगर प्रिंट खंगाले तो पता चला कि वह ग्वालियर के मोहाना का रहने वाला है। उसके खिलाफ वहां भी प्रकरण भी दर्ज था। फिंगर प्रिंट के आधार पर इसका खुलासा हो पाया।
“प्रदेश में अपराधियों के फिंगर के डेटा बेस बनने से कई जटिल मामलों का खुलासा करना भी आसान हो जाएगा। फिंगर प्रिंट का डेटा बेस बनाने का काम लगातार चल रहा है। सभी जिलों में इसके लिए एक सिस्टम दे रखा है।”
-हेमंत प्रियदर्शी, डीजी, एससीआरबी
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