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कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को हरियाणा विधानसभा चुनावों में ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) से जुड़ी शिकायतों और कथित अनियमितताओं की जांच के लिए एक तकनीकी टीम गठित करने का निर्णय लिया। यह फैसला पार्टी द्वारा दिल्ली में आयोजित एक बैठक के बाद लिया गया, जहां चुनाव परिणामों पर चर्चा की गई। हरियाणा चुनावों में कांग्रेस को केवल 37 सीटों पर जीत हासिल हुई, जो पार्टी के लिए एक झटका साबित हुआ।
इससे पहले, कांग्रेस ने बुधवार को ईवीएम में पाई गई उन “अनियमितताओं” की जांच की मांग की थी, जो वोटों की गिनती के दौरान सामने आई थीं। पार्टी नेताओं ने मांग की कि इन ईवीएम को सील किया जाए और तब तक सुरक्षित रखा जाए जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की।
मुलाकात करने वालों में पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा, अशोक गहलोत, एआईसीसी के सदस्य केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश, अजय माकन और पवन खेड़ा के साथ हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष उदय भान शामिल थे। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने हरियाणा के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों से आई विशेष शिकायतों को लेकर एक ज्ञापन सौंपा।
पार्टी ने दावा किया कि कम से कम 20 शिकायतें मिली थीं, जिनमें से सात औपचारिक रूप से लिखित शिकायतें थीं। कई शिकायतों में यह आरोप लगाया गया कि कुछ ईवीएम की बैटरी क्षमता 99 प्रतिशत तक बनी रही, जबकि औसत ईवीएम की क्षमता केवल 60 से 70 प्रतिशत के बीच थी।
कांग्रेस ने इन “स्पष्ट विसंगतियों” को हरियाणा चुनावों में गंभीर मुद्दा बताया और चुनाव आयोग से इसकी जांच की मांग की। पार्टी ने अपने ज्ञापन में उल्लेख किया कि वोटों की गिनती एक निष्पक्ष, पारदर्शी और जवाबदेह तरीके से होनी चाहिए, ताकि चुनावी प्रक्रिया संविधान में वर्णित निष्पक्ष चुनाव और समान स्तर के सिद्धांतों का पालन कर सके।
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