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इसके बाद अमिताभ ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. एक से बढ़कर एक ऐसी फिल्में की जिन्होंने इनकी काबिलियत को साबित किया. सौदागर, दीवार, शोले, लावारिस, चुपके – चुपके, नमक हलाल, नमक हराम, नास्तिक, कालिया, खुद्दार, शराबी, डॉन जैसी फिल्मों के जरिए बॉलीवुड इंडस्ट्री के मयार को ऊंचा रखा। हर जॉनर की फिल्म की. हरेक किरदार बतियाता सा। सहज अभिनय इनकी खासियत थी.
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