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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाओस की राजधानी विएंतियान में रामायण के लाओ संस्करण की प्रस्तुति देखी। यह प्रस्तुति भारत और लाओस के बीच सांस्कृतिक संबंधों को दर्शाती है। मोदी ने बौद्ध भिक्षुओं का…
विएंतियान, एजेंसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को लाओस की राजधानी विएंतियान पहुंचने के बाद रामायण के लाओ संस्करण की मनमोहक प्रस्तुति देखी। यह भारत और लाओस के बीच साझा विरासत एवं सदियों पुराने सभ्यतागत संबंधों को दर्शाता है। इसे प्रतिष्ठित रॉयल थिएटर ऑफ लुआंग प्रबांग के कलाकारों ने प्रस्तुत किया। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने ‘एक्स पर एक पोस्ट में कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाओ रामायण की मनमोहक प्रस्तुति देखी, जिसे फलक फालम या फ्रलक फ्रराम के नाम से जाना जाता है। प्रधानमंत्री मोदी आसियान-भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए लाओस की राजधानी में हैं।
रामायण की यह अनूठी प्रस्तुति भारत और लाओ पीडीआर के बीच गहरे सांस्कृतिक संबंधों और साझा विरासत को दर्शाती है। फ्रलकफ्रराम डॉट कॉम के मुताबिक, लाओ रामायण मूल भारतीय संस्करण से अलग है। बौद्ध समूहों के माध्यम से यह 16वीं शताब्दी के आसपास लाओस पहुंचा था।
मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया, विजयदशमी कुछ दिन दूर है और आज लाओ पीडीआर में मैंने लाओ रामायण का एक भाग देखा, जिसमें रावण पर प्रभु श्रीराम की जीत पर प्रकाश डाला गया है। यह देखकर खुशी होती है कि यहां के लोग रामायण से जुड़े हुए हैं। प्रभु श्रीराम का आशीर्वाद सदैव हम पर बना रहे! प्रधानमंत्री ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर फलक फालम की उस कड़ी की कुछ झलकियां भी साझा कीं, जो उन्होंने लाओ पीडीआर में देखी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, साझा विरासत और परंपरा दोनों देशों को करीब ला रही है। यह प्रस्तुति भारत-लाओस के समृद्ध और साझा जुड़ाव का एक उत्कृष्ट प्रदर्शन थी। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि लाओस में आज भी रामायण का मंचन किया जाता है और यह महाकाव्य दोनों देशों के बीच साझा विरासत और सदियों पुराने सभ्यतागत संबंधों को दर्शाता है। बयान के अनुसार, लाओस में सदियों से भारतीय संस्कृति और परंपरा के विभिन्न पहलुओं का पालन एवं संरक्षण किया जा रहा है। इसमें कहा गया है कि दोनों देश अपनी साझा विरासत को रोशन करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
बौद्ध भिक्षुओं का आशीर्वाद लिया
रामायण की प्रस्तुति देखने से पहले मोदी ने लाओ पीडीआर के केंद्रीय बौद्ध फेलोशिप संगठन के वरिष्ठ बौद्ध भिक्षुओं के आशीर्वाद समारोह में हिस्सा लिया, जो विएंतियान में सी साकेत मंदिर के मठाधीश महवेथ मसेनई की अध्यक्षता में आयोजित किया गया था। मोदी ने एक्स पर लिखा, लाओ पीडीआर में सम्मानित भिक्षुओं और आध्यात्मिक गुरुओं से मुलाकात हुई, जो भारतीयों द्वारा पाली को दिए जा रहे सम्मान को देखकर खुश थे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्रधानमंत्री ने लाओस में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा वट फू मंदिर परिसर के जीर्णोद्धार और संरक्षण कार्य पर आधारित प्रदर्शनी भी देखी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण लाओस में वट फू मंदिर और संबंधित स्मारकों के जीर्णोद्धार के काम में जुटा हुआ है।
मोदी ने कहा, लगातार गहराता सांस्कृतिक जुड़ाव! भारत को वट फू परिसर सहित विभिन्न विरासत स्थलों के संरक्षण एवं जीर्णोद्धार की दिशा में लाओ पीडीआर के साथ मिलकर काम करने पर गर्व है।
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