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संसद में भाषण से लेकर रैलियों तक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार यह दोहराते दिखे हैं कि आखिर देश के सचिवों में से कितने ओबीसी है। वह कहते रहे हैं कि 100 में से महज 3 फीसदी ही ओबीसी अधिकारी हैं, जबकि उनकी 60 फीसदी से ज्यादा आबादी है। वह नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को ओबीसी, एससी और एसटी की उपेक्षा के आरोप में घेरते रहे हैं। लेकिन अब खुद कांग्रेस में ही इस मुद्दे पर बवाल मचा है और ओबीसी नेताओं को नजरअंदाज करने के आरोप लग रहे हैं। हरियाणा में हार के बाद राज्य में माहौल ही बदल गया है। अहीरवाल बेल्ट के सीनियर नेता कैप्टन अजय सिंह यादव ने पिछड़ों की उपेक्षा के आरोप लगाए हैं।
उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, ‘कांग्रेस को दक्षिण हरियाणा खासतौर पर गुरुग्राम, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और फरीदाबाद में सिर्फ एक सीट मिली है। अहीरवाल का कांग्रेस कार्यसमिति, केंद्रीय चुनाव समिति, कांग्रेस महासचिवों और हरियाणा प्रदेश कमेटी तक में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। ओबीसी कांग्रेस का चेयरमैन जैसे पद के पास तो कोई ताकत नहीं है। यह दंतहीन है।’ यही नहीं उनकी पोस्ट पर एक अन्य नेता डॉ. अरुणेश यादव ने भी सहमति जताई है। उन्होंने कहा कि आपने बिलकुल सही कहा है। इसके अलावा यदुवंशी कल्याण ट्रस्ट चलाने वाले संजय यादव ने भी कहा कि पिछड़ों को उनका अधिकार मिलना ही चाहिए।
इस तरह कैप्टन अजय यादव की पोस्ट ने एक तरह से राहुल गांधी को आईना दिखाया है। पार्टी के भीतर ही पिछड़ों की उपेक्षा का आरोप इसलिए खास है क्योंकि राहुल गांधी लगातार आरक्षण की 50 फीसदी सीमा खत्म करने, जातिगत जनगणना कराने और पिछड़ों को नौकरशाही से लेकर राजनीति तक में मौका देने की वकालत करते रहे हैं। ऐसी स्थिति में अब कैप्टन अजय यादव का ही आरोप लगाना चिंता की बात है।
दरअसल हरियाणा के नतीजों को लेकर एक राय यह भी सामने आई है कि जाटों की तुलना में कांग्रेस ने यादव, गुर्जर, सैनी, कश्यप जैसी अन्य ओबीसी बिरादरियों को कम महत्व दिया और इससे वे लोग भाजपा के साथ गए। इसके अलावा भाजपा सरकार ने अहीरवाल बेल्ट में नौकरियां भी खूब दी हैं। कैप्टन अजय यादव ने कांग्रेस की हार का एक बड़ा कारण नतीजों से पहले ही सीएम पद को लेकर मची खींचतान को भी माना है।
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