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दिल्ली हाई कोर्ट ने भाजपा नेता सुब्र ह्मण्यम स्वामी को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की नागरिकता के मुद्दे पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में लंबित याचिका की प्रति दाखिल करने के लिए बुधवार को कुछ और समय दिया। स्वामी ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने उस याचिका की एक कॉपी प्राप्त कर ली है और इस केस में की गई प्रार्थनाएं उनके केस की दलीलों से भिन्न हैं।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने याचिकाकर्ता से पिछले आदेश का पालन करने के लिए कहे गए दस्तावेज इलेक्ट्रॉनिक रूप में दाखिल करने को कहा और उनकी याचिका को 6 नवंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
बेंच स्वामी की उस याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें उन्होंने गृह मंत्रालय को राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग करने वाले उनके आवेदन पर निर्णय लेने के लिए निर्देश देने की मांग की है। स्वामी ने अपनी याचिका में गृह मंत्रालय को लोकसभा में विपक्ष के नेता गांधी के खिलाफ उनके द्वारा दायर अभ्यावेदन पर स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश देने की भी मांग की। शुरुआत में स्वामी ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में लंबित मामले का उनके मामले से कोई लेना-देना नहीं है और प्रार्थनाएं पूरी तरह से अलग हैं। इस पर पीठ ने कहा, ‘ठीक है, हम देखेंगे।’
इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दायर याचिका की प्रति प्राप्त करने के लिए समय दिया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि इसी तरह के मुद्दे पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है और दो अदालतें एक ही मुद्दे पर एक साथ विचार नहीं कर सकतीं। कोर्ट ने कहा था कि मामले में आगे बढ़ने से पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट में लंबित याचिका के बारे में जानना न्याय के हित में होगा।
अधिवक्ता सत्य सभरवाल द्वारा दायर स्वामी की याचिका में कहा गया है कि 6 अगस्त, 2019 को याचिकाकर्ता ने मंत्रालय को एक पत्र लिखा था जिसमें आरोप लगाया गया था कि राहुल गांधी ने ब्रिटिश सरकार के सामने स्वेच्छा से खुलासा किया था कि वह ब्रिटिश राष्ट्रीयता के नागरिक हैं, जो ब्रिटिश पासपोर्ट रखने के बराबर है।
इससे पहले, इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने केंद्र से पूछा था कि क्या उसने नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत दायर एक अभ्यावेदन पर कोई निर्णय लिया है जिसमें आरोपों की जांच करने के लिए कहा गया है।
कोर्ट कर्नाटक के भाजपा कार्यकर्ता एस विग्नेश शिशिर द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दावा किया गया था कि उन्होंने गांधी के ब्रिटिश नागरिक होने के मुद्दे पर विस्तृत जांच की है और उन्हें कई नई जानकारियां मिली हैं।
उधर दिल्ली हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में स्वामी ने कहा है कि कांग्रेस नेता ने भारतीय नागरिक होने के नाते संविधान के अनुच्छेद 9 का उल्लंघन किया है, जिसे भारतीय नागरिकता अधिनियम के साथ पढ़ा जाए, और अब वह भारतीय नागरिक नहीं रहेंगे।
उन्होंने कोर्ट को बताया कि अपनी शिकायत की स्थिति के बारे में पूछताछ के लिए उन्होंने मंत्रालय को कई आवेदन भेजे हैं, लेकिन न तो कोई कार्रवाई की गई है और न ही उन्हें इसके बारे में सूचित किया गया है।
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