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झारखंड के पाकुड़ में बाल तस्करी का एक बड़ा मामला प्रकाश में आया है। अमड़ापाड़ा इलाके की कुल आठ नाबालिग आदिवासी लड़कियों के पिता ने थाने में आवेदन देकर बच्चियों की सकुशल बरामदगी की गुहार लगाई है।
दिल्ली में दलाल ने बेचा
मामला तब सामने आया है जब डुमरचीर गांव की एक नाबालिग आदिवासी लड़की दिल्ली से भाग कर किसी तरह वापस घर पहुंच गई। मामले की जानकारी देते हुए नाबालिग युवती एवं परिजनों ने बताया कि बीते 28 अगस्त को हिरणपुर के दलाल के द्वारा काम कराने के लिए डुमरचीर और तिलयपाड़ा गांव के साथ नाबालिग लड़की काम दिलाने के बहाने हिरणपुर के कनन अंसारी के द्वारा दिल्ली ले जाकर साहूकारों के हाथ बेच दिया।
काम न करने पर टॉर्चर
जहां नाबालिग युवतियों को अलग अलग स्थानों पर रखकर काम करवाया जा रहा है। युवती काम नहीं करने पर उनको मारा जाता है। यही नहीं उनको काम कराने के लिए गर्म छलनी से शरीर में दागा जाता है। वहीं दिल्ली से घर आई नाबालिग युवती ने अपने आपबीती परिजनों को बताया। वहीं आगे परिजनों ने बताया कि युवतियों को वापस लाने के लिए दलाल के साथ परिजनों ने संपर्क किया तो उसने परिजनों से पैसे की मांग करने लगा।
किसी तरह चंगुल से निकली एक लड़की
वहीं युवती भागने के लिए किसी तरह में घर से निकली और रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद तीन दिन चार दिन भटकते भटकते दिल्ली में ही तलबडीया गांव के एक व्यक्ति से मुलाकात हुई और उन्होंने मुझे अपने घर तक पहुंचा दिया। जिसके एवज में परिजन से दस हजार रुपया लिया गया। परिजनों ने थाना में आकर बाकी लड़कियों सलामत घर वापसी के लिए थाने में लिखित आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई है।
महेशपुर एसडीपीओ विजय कुमार ने बताया कि परिजनों के शिकायत के आधार पर इस मामले में जांच कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। बच्चियों की सकुशल वापसी के लिए पहल की जाएगी। पुलिस इसे गंभीरता से ले रही है। पुलिस उस दलाल की तलाश में जुट गई है।
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