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पूर्वी दिल्ली के अप्सरा बॉर्डर से आनंद विहार तक बने 1.4 किलोमीटर लंबे फ्लाईओवर पर जल्द यातायात शुरू करने की तैयारी है। पुल के बीच में खड़े पेड़ को काटे बगैर आधिकारिक तौर पर वाहनों की आवाजाही शुरू की जाएगी।
पूर्वी दिल्ली के अप्सरा बॉर्डर से आनंद विहार तक बने 1.4 किलोमीटर लंबे फ्लाईओवर पर जल्द यातायात शुरू करने की तैयारी है। पुल के बीच में खड़े पेड़ को काटे बगैर आधिकारिक तौर पर वाहनों की आवाजाही शुरू की जाएगी। छह लेन के इस फ्लाईओवर पर आनंद विहार से अप्सरा बॉर्डर की तरफ जाते हुए अंतिम छोर पर दो पेड़ सड़क के बीच में है। पेड़ काटने की मंजूरी नहीं मिलने के कारण इसे पेड़ों के साथ शुरू किया जाएगा।
सूत्रों की मानें तो यह फ्लाईओवर बन चुका है और यातायात के लिए तैयार है। सभी जरूरी ट्रायल भी पूरे हो चुके हैं, जिसमें पता चला कि पेड़ की वजह से बहुत ज्यादा दिक्कत नहीं हो रही है। इसके बाद बिना पेड़ काटे ही सड़क पर यातायात खोलने का फैसला लिया गया। सुरक्षा के मद्देनजर उसके आस-पास मार्किंग की जाएगी।
दो लाल बत्ती खत्म होंगी
रोड नंबर-57 पर अप्सरा बॉर्डर के इस कॉरीडोर के बनने से यहां पर विवेक विहार और सूर्य नगर क्रांसिंग की दो लाल बत्ती बंद हो जाएगी। इससे यहां से रोजाना गुजरने वाले करीब डेढ़ लाख वाहनों को फायदा होगा। यह पूर्वी दिल्ली के व्यस्त सड़कों में से एक है। फ्लाईओवर बनने से अप्सरा बॉर्डर से एनएच-24 पर पड़ने वाले गाजीपुर चौक तक सफर सिग्नल फ्री हो जाएगा।
इन इलाकों को फायदा
विज्ञान विहार, विवेक विहार, योजना विहार, स्वास्थ्य विहार, शोका निकेतन, झिलमिल, आनंद विहार के अलावा गाजियाबाद के रामप्रस्थ और सूर्य नगर से आने जाने वाले लोगों को भी इसका फायदा होगा।
राजधानी में पहले भी किए ऐसे प्रयोग
सिने ट्री कैफे
कांस्टीट्यूशन क्लब में पिछले साल बना सिने ट्री कैफे काफी लोकप्रिय हुआ है। मैनेजर अरविंद कुमार बताते हैं कि शीशे और लकड़ी के सहयोग से बने इस कैफे की छत पारदर्शी है, जिससे ऊपर पेड़ भी दिखता है। कुछ घोसले और चिड़ियां भी यहां रखी हैं। इसे विकसित करने का पूरा विचार क्लब के सचिव और सांसद राजीव प्रताप रूडी का है।
एनएसडी ने चारों ओर प्रदर्शनी हॉल बनाया
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में प्रदर्शनी हॉल में बीच में रबड़ का एक पुराना पेड़ है। इसका तना नीचे है और पत्तियां काफी ऊपर। एनएसडी के पूर्व जनसंपर्क अधिकारी एके बरुआ बताते हैं कि 1977 में जब वह छात्र थे, यह पेड़ तब से यहां है। 1997 में एनएसडी की चेयरमैन रहीं अमाल अल्लाना ने पेड़ के चारों तरफ की खाली जगह को प्रदर्शनी स्थल बनाने का निर्देश दिया था।
मंदिर बना, लेकिन पीपल के पेड़ पर नहीं आई आंच
दिल्ली गेट स्थित शिव मंदिर का समय के साथ धीरे-धीरे विस्तार हुआ, लेकिन यहां पर 200 साल से भी पुराने पीपल के पेड़ को कोई नुकसान नहीं हुआ। पुजारी प्रयाग राज शर्मा ने कहा कि मेरे दादा भी इस पेड़ का जिक्र करते हैं। वह बताते थे कि यह वर्षों पुराना है। अंग्रेजों के समय यहां प्याऊ था।
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