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हरियाणा विधानसभा चुनाव में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए भाजपा ने जीत की हैट्रिक लगा ली है। भाजपा ने 2014 में 47 सीट जीतकर पहली बार खुद के बूते सरकार बनाई थी। 2024 में भाजपा ने 48 सीट जीती। भाजपा की जीत में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख और दुष्कर्म के मामले में सजा काट रहे गुरमीत राम रहीम सिंह की कितनी भूमिका रही, इस पर भी चर्चा शुरू हो गई है। राम रहीम को मतदान से ठीक पहले पैरोल मिली थी।
गुरमीत राम रहीम के जेल से बाहर आने के साथ ही अटकलें लगने लगी थीं कि वह विधानसभा चुनाव पर असर डाल सकता है। हरियाणा के 6 जिलों में उसके समर्थकों की संख्या अच्छी-खासी है। हिसार, सिरसा, फतेहाबाद जिलों में डेरे का प्रभाव ज्यादा है और इन्हीं जिलों की सीटों पर भाजपा का बेहतर प्रदर्शन रहा है।
इस बार गुपचुप समर्थन
मतदान से कुछ दिन पहले ही डेरा सच्चा सौदा के मुख्यालय में सत्संग हुआ था जिसमें अनुयायियों को भाजपा के पक्ष में वोट करने का संदेश दिया गया था, लेकिन यह संदेश खुले तौर पर नहीं दिया गया। राम रहीम के पैरोल पर बाहर आते ही डेरे ने सभी ब्लॉक में नाम चर्चा कार्यक्रम रखा और इसी कार्यक्रम में भाजपा को समर्थन देने का गुपचुप संदेश अपने अनुयायियों को दिया। राम रहीम का डेरा सच्चा सौदा पहले भी भाजपा का समर्थन करता रहा है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में डेरा सच्चा सौदा ने खुले तौर पर भाजपा का सपोर्ट किया था। हरियाणा में डेरा के लाखों अनुयायी हैं, जो चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं। ज्यादा अनुयायी फतेहाबाद जिले में हैं।
डेरे की प्रबंधन कमेटी की चेयरमैन है हनीप्रीत
डेरे की प्रबंधन कमेटी चुनावों में समर्थन देने का निर्णय करती है। मौजूदा समय में गुरमीत सिंह की मुंह बोली बेटी हनीप्रीत डेरे की वाइस चेयरपर्सन है। प्रबंधन कमेटी प्रदेश की राज्यस्तरीय 85 सदस्यीय कमेटी के साथ राय मशविरा करती है। डेरा सच्चा सौदा सिरसा की राजनीतिक विंग को पिछले साल ही प्रबंधन ने भंग कर दिया था।
कांग्रेस के विरोध के बाद EC ने दी सर्शत पैरोल
गुरमीत राम रहीम को हरियाणा विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले रोहतक की सुनारिया जेल से 20 दिन की पैरोल पर रिहा किया गया था। कांग्रेस ने इसका विरोध किया था और कहा था कि भाजपा ने अपने सियासी फायदे के लिए राम रहीम को पैरोल दी है। भारत के निर्वाचन आयोग ने बलात्कार और हत्या के दोषी की पैरोल के लिए तीन शर्तें तय की थी। उसके हरियाणा में रहने और किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल होने पर प्रतिबंध था। सोशल मीडिया कैंपेन में भी शामिल नहीं हो सकता था। चुनाव आयोग ने यह भी कहा था कि अगर वह आदर्श आचार संहिता या तीनों शर्तों में से किसी का उल्लंघन करता है तो उसकी पैरोल रद्द कर दी जाएगी।
रिपोर्ट: मोनी देवी
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