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रेलवे में नौकरी के बदले बीवी, बच्चों और नौकर के नाम महंगी जमीन सस्ते में लिखवाने के केस में चारा घोटाला में सजायाफ्ता पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव रेलमंत्री दिल्ली कोर्ट में सपरिवार पेश हुए। सीबीआई, ईडी के झमेले से अब तक दूर रहे लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव भी पहली बार पेश हुए। कोर्ट ने लालू, तेजस्वी और तेज प्रताप को इस घोटाले के प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मुकदमे में जमानत दे दी है। कोर्ट ने ईडी के पूरक आरोपपत्र (चार्जशीट) के मद्देनजर तेज प्रताप यादव को भी समन भेजा था। लालू परिवार पर इस घोटाले से जमीन और पैसे जुटाने का आरोप है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने घोटाले के तरीके की जांच की है जबकि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने घोटाला से पैदा हुए पैसों के इस्तेमाल का फायदा उठाने वालों के तार जोड़े हैं। सीबीआई केस में लालू, राबड़ी देवी, मीसा भारती को पिछले अक्टूबर में जमानत मिली थी। एजेंसियों का आरोप है कि रेलवे में नौकरी पाने वालों के परिजनों से महंगी-महंगी जमीनें राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव और एके इन्फोसिस्टम्स के नाम बहुत सस्ते में लिखवा ली गईं। तेजस्वी या तेज प्रताप के नाम पर नौकरी पाने वालों के परिजनों से सीधे कोई जमीन नहीं लिखवाई गई लेकिन एके इन्फोसिस्टम्स द्वारा खरीदी और बेची गई जमीन से जुड़े होने के कारण दोनों भाई लपेटे में आ गए हैं।
तेजस्वी के फंसने की जड़ में है नई दिल्ली की न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में डी-1088 नंबर का बंगला जो कागज पर एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम रजिस्टर्ड है। ईडी ने मार्च 2023 में बंगले पर जब रेड मारा तो वहां तेजस्वी मौजूद थे। इस प्रॉपर्टी को आयकर विभाग ने 2017 में बेनामी लेनदेन निरोधी कानून के तहत जब्त किया था। ईडी ने 2023 में छापे के बाद कहा था कि इस चार मंजिले बंगले की कीमत बाजार में 150 करोड़ है जिसे मात्र 4 लाख रुपए में खरीदा गया।
2017 में इनकम टैक्स ने कहा था कि इस बंगले का असली मालिक लालू-राबड़ी परिवार है। ईडी ने 2023 में कहा कि ये बंगला तेजस्वी का आवास है जिसे कागज पर दो कंपनियों का पता दिखाया गया है और दोनों कंपनियों पर यादव परिवार का नियंत्रण है। अमित कात्याल ने 2006-07 में एके इन्फोसिस्टम्स नाम से आईटी बिजनेस के लिए कंपनी बनाई लेकिन व्यापार नहीं किया। कंपनी ने कई जमीन खरीदी। जब 2014 में इस कंपनी के पास 63 करोड़ की संपत्ति थी तब अमित कात्याल ने कंपनी एक लाख में राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के नाम कर दी।
इसी तरह एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी जो 1996 में बनाई गई थी, उसे 2007 में पांच कंपनियों के रास्ते 5 करोड़ रुपए मिले और उस पैसे से डी-1088 बंगला खरीदा गया। इस कंपनी को 4 लाख रुपए में तेजस्वी के नाम कर दिया गया था। जांच एजेंसियों का आरोप है कि इन कंपनियों के जरिए लालू परिवार ने घोटाला का पैसा प्रॉपर्टी में खपाया।
ईडी की जांच में पता चला कि मात्र 7.50 लाख रुपए में लालू परिवार ने चार जमीन ली जिसे उनकी ही पार्टी राजद के पूर्व विधायक अबू दोजाना ने बाद में 3.50 करोड़ रुपए में खरीदा। इस पैसे का एक हिस्सा तेजस्वी के खाते में गया। लालू के परिवार पर पटना में पांच प्लॉट सस्ते में खरीदकर और दो प्लॉट तोहफा में लेकर कुल 1 लाख वर्गफीट से ऊपर जमीन जुटाने का आरोप है। जमीन के सात सौदों में तीन जमीन राबड़ी, एक जमीन मीसा भारती और एक जमीन एके इन्फोसिस्टम्स के नाम लिखवाई गई। दो जमीन हेमा यादव को तोहफे में मिल दिखाई गई।
राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, तेजप्रताप यादव, हेमा यादव और रागिनी यादव की कंपनियां
दिल्ली के चार मंजिला बंगले डी-1088 के पते पर तीन कंपनियां रजिस्टर्ड हैं। एके इन्फोसिस्टम्स, एबी एक्सपोर्ट्स और लारा प्रोजेक्ट्स। इस समय एके इन्फोसिस्टम्स के निदेशक राबड़ी देवी और शरीकुल बारी हैं। कंपनी के ई-मेल में चंदा यादव की मेल आईडी है। एबी एक्सपोर्ट्स के निदेशक रागिनी यादव और शरीकुल बारी हैं। कंपनी के ई-मेल में चंदा यादव की मेल आईडी है। लालू का ला और राबड़ी का रा लेकर लारा प्रोजेक्ट्स नाम की कंपनी में राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव डायरेक्टर हैं। तेजस्वी और तेज प्रताप इस समय सिर्फ इस कंपनी के निदेशक हैं।
राबड़ी देवी एके इन्फोसिस्टम्स, लारा प्रोजेक्ट्स और लारा डिस्ट्रीब्यूटर्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों की डायरेक्टर हैं। लारा डिस्ट्रीब्यूटर्स में राबड़ी के अलावा चंदा यादव और रागिनी यादव निदेशक हैं और यह कंपनी पटना के पते पर रजिस्टर हुई है। तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव इस केस में एके इन्फोसिस्टम्स के लेन-देन की जांच से फंसे हैं।
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