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हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए मतगणना 8 अक्टूबर को होगी, लेकिन विपक्षी कांग्रेस पार्टी में मुख्यमंत्री पद की दौड़ पहले ही तेज हो चुकी है। शनिवार को जब हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों के लिए मतदान हो रहा था तभी वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने पूर्ण बहुमत मिलने का दावा करना शुरू कर दिया था। उनमें से कुछ ने अपना नाम सीएम पद के लिए पेश करने से परहेज नहीं किया। हालांकि, सभी ने एक बात समान रूप से कही कि अंतिम फैसला आलाकमान का होगा।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा
हरियाणा में अगर कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिलती है तो सीएम बनने की रेस में सबसे आगे भूपेंद्र सिंह हुड्डा हैं, जो 2005 से 2014 तक दो बार सीएम रह चुके हैं। उन्होंने विधानसभा चुनावों और हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में भी हरियाणा में पार्टी की अगुआई की है। उन्होंने कहा, “मैं अभी रिटायर नहीं हुआ हूं। कांग्रेस पार्टी ही सरकार बनाएगी। मुख्यमंत्री कौन होगा, यह पार्टी हाईकमान तय करेगा।”
कुमारी शैलजा
वहीं, उनकी धुर विरोधी और सिरसा से सांसद कुमारी शैलजा को भी सीएम पद के लिए एक प्रमुख दावेदार के रूप में देखा जा रहा है। एक प्रमुख दलित चेहरा होने के अलावा, वह गांधी परिवार के साथ अपनी निकटता के लिए भी जानी जाती हैं। उन्होने कहा, “कांग्रेस मेरे विशाल अनुभव और पार्टी के प्रति मेरी निर्विवाद निष्ठा से इनकार नहीं कर सकती। शैलजा कांग्रेस की एक वफादार सिपाही हैं और हमेशा कांग्रेस के साथ रहेंगी। हर कोई जानता है कि कांग्रेस का सीएम कौन होगा, इसका फैसला हमेशा पार्टी हाईकमान द्वारा लिया जाता है।”
दीपेंद्र हुड्डा
कांग्रेस के हलकों में एक और नाम की चर्चा है। अगर सीनियर हुड्डा सीएम की दौड़ से बाहर हो जाते हैं, तो उनके बेटे और रोहतक के सांसद दीपेंद्र हुड्डा सीएम की कुर्सी के लिए मजबूत दावेदार के रूप में उभरेंगे। शैलजा के द्वारा सीएम पद की दावेदारी पेश करने पर दीपेंद्र ने कहा, “शैलजा ने जो भी कहा है उसमें कुछ भी गलत नहीं है। कांग्रेस में एक उचित प्रक्रिया है। पहली प्राथमिकता पार्टी को बहुमत प्राप्त करना और सरकार बनाना है। पार्टी हाईकमान के स्तर पर एक बैठक होती है, निर्वाचित विधायकों से परामर्श किया जाता है और अंतिम निर्णय पार्टी हाईकमान द्वारा लिया जाता है।”
आपको बता दें कि अपनी सभी चुनावी रैलियों में दीपेंद्र ने कहा कि हरियाणा में भाजपा सरकार जाने वाली है और कांग्रेस भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में अपनी सरकार बनाने जा रही है।
रणदीप सिंह सुरजेवाला
शनिवार को अपने गृह क्षेत्र कैथल में वोट डालने के बाद राज्यसभा सांसद और एआईसीसी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, “सीएम बनने की महत्वाकांक्षा रखना गलत नहीं है। हम सीएम चेहरे के लिए राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा लिए गए निर्णय को स्वीकार करेंगे।” आपको बता दें कि उनके समर्थन सुरजेवाला को भी सीएम की रेस में देखते हैं।
उदय भान
पार्टी सूत्रों का कहना है कि हरियाणा कांग्रेस प्रमुख और दलित नेता उदय भान, जो हुड्डा के वफादार माने जाते हैं, भी सीएम पद के दावेदारों में से एक हैं। सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि दिल्ली में एआईसीसी नेताओं के साथ एक बैठक में भान ने भी दावा किया था कि अगर पार्टी सीएम के रूप में किसी दलित चेहरे का नाम बताएगी तो वह अपना दावा पेश करेंगे।
कांग्रेस के प्रचार अभियान के दौरान इन नेताओं ने अक्सर सीएम बनने की अपनी महत्वाकांक्षाओं को व्यक्त किया था और उम्मीद जताई थी कि पार्टी चुनाव जीतेगी।
आपको बता दें कि कुमारी शैलजा और सुरजेवाला दोनों ही विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं दी। हुड्डा को टिकट वितरण में भी सबसे ज्यादा हिस्सा मिला। उन्होंने 72 सीटों पर अपनी पसंद के उम्मीदवार उतारे। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “दावेदार कई हो सकते हैं, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि निर्वाचित विधायक किसे अपना नेता चाहते हैं। कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता के रूप में जिसे भी चुना जाता है, उसे आम तौर पर सीएम पद के लिए पार्टी हाईकमान की पसंद माना जाता है। अंतिम निर्णय हाईकमान द्वारा लिया जाता है और सभी लोग इसे स्वीकार करेंगे, चाहे उनकी महत्वाकांक्षाएं कुछ भी हों।”
कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा, “पार्टी हाईकमान 2005 के चुनावों की तरह ही आश्चर्यजनक फैसले लेने के लिए भी जाना जाता है। तब पार्टी ने 67 सीटें जीती थीं और भजन लाल सीएम बनने वाले थे। लेकिन आखिरी समय में भूपेंद्र हुड्डा का नाम सीएम के तौर पर घोषित कर दिया गया। कुछ भी हो सकता है, लेकिन एक बात तय है: हुड्डा भजनलाल नहीं हैं और यह बात हाईकमान भी जानता है।”
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