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आरआर कैट के साइंटिस्ट और उनकी पत्नी को 6 दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर 71 लाख 33 हजार की धोखाधड़ी करने वाले बदमाशों की पड़ताल में क्राइम ब्रांच की विशेष टीम जुटी है।
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साइंटिस्ट को सबसे पहले फोन कर ट्राई के अधिकारी बनकर बात करने वाले नंबर की पड़ताल की तो पाया कि वह सिमकार्ड उत्तर प्रदेश का है। वहीं दिल्ली क्राइम ब्रांच का अधिकारी बनकर बात करने वाला सिमकार्ड ओड़िसा का और सीबीआई अधिकारी बनकर बात करने वाला नंबर भी उत्तरप्रदेश का निकला है।
एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने बताया कि आरोपियों के द्वारा डिजिटल अरेस्ट के दौरान साइंटिस्ट से उनके बैंक खातों से जो रुपया ट्रांसफर करवाया गया। वह उत्तर प्रदेश, मणिपुर, पश्चिम बंगाल और गुजरात राज्यों की नेशनलाइज बैंकों के खाते में गया है। ठगों ने 51 लाख रुपए उत्तर प्रदेश के एसबीआई बैंक खाते में डलवाए।
जिन्हे ठग गैंग ने अपनी अन्य 9 बैंकों के अलग-अलग खातों में तुरंत ही ट्रांसफर कर दिया। 12 लाख रुपए मणिपुर और पश्चिम बंगाल स्थित आईसीआईसीआई बैंक के खाते में डलवाए, जहां से 3 अन्य खातों में ट्रांसफर किए। 5 लाख रुपए गुजरात की वेरचा बैंक में डलवाए। शेष राशि एचडीएफसी बैंक के खातों में डलवाई।
क्राइम ब्रांच ने खाते ब्लॉक कर, रोके ट्रांजेक्शन
घटना के बाद क्राइम ब्रांच की टीम ने सभी बैंकों से संपर्क कर उनके अधिकारियों की मदद से ट्रांजेक्शन की गई राशियों के निकालने पर रोक लगाई और बैंक खाते ब्लॉक करवा दिए। एक टीम को सभी बैंक खातों में खातेधारकों के वैरिफिकेशन के लिए भी रवाना किया है। आशंका है कि ठग गैंग ने कई गरीब लोगों के आधार कार्ड का उपयोग कर उनके खाते किराये पर लेकर उन्हें कमिशन का लालच देकर खुलवाया है। ऐसे खाते कई प्रकरणों में सामने आ चुके हैं।
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