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दिल्ली हाईकोर्ट ने पाकिस्तानी मूल के एक ब्रिटिश नागरिक की याचिका पर उसकी भारतीय पत्नी से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता ने अपने दो नाबालिग बेटों को पत्नी द्वारा यूनाइटेड किंगडम वापस भेजने के निर्देश की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने पाकिस्तानी मूल के एक ब्रिटिश नागरिक की याचिका पर उसकी भारतीय पत्नी से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता ने अपने दो नाबालिग बेटों को पत्नी द्वारा यूनाइटेड किंगडम वापस भेजने के निर्देश की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
महिला के पति ने अपनी याचिका में अपने दो नाबालिग बेटों को यूनाइटेड किंगडम वापस भेजने की मांग की है। हालांकि, उसकी पत्नी ने दो बेटों के साथ इंग्लैंड वापस जाने से इनकार कर दिया है। पति का कहना है कि दोनों नाबालिग बेटे भी ब्रिटिश नागरिक हैं और उसक पत्नी बच्चों को भारत लेकर आई है और सितंबर 2023 से दिल्ली में उसके साथ रह रही है।
वहीं, पत्नी ने इस मामले में पहले ही दिल्ली की एक अदालत में कस्टडी याचिका दायर कर दी है। वह अपनी बहन और पिता के साथ यमुना विहार में रह रही है।
जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और अमित शर्मा की बेंच ने याचिकाकर्ता की पत्नी को दो सप्ताह के भीतर याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिका पर सुनवाई के दौरान वह अपने दोनों बेटों के साथ अदालत में पेश हुई। अदालत ने उससे बातचीत की। अदालत ने याचिकाकर्ता के पति यासिर अयाज से भी वर्चुअल मोड के जरिये बातचीत की। अदालत ने पाया कि महिला दोनों बच्चों के साथ इंग्लैंड वापस जाने को तैयार नहीं है।
हाईकोर्ट ने कहा कि चूंकि पत्नी दो बच्चों के साथ ब्रिटेन वापस जाने को तैयार नहीं है, इसलिए मामले की सुनवाई गुण-दोष के आधार पर करनी होगी।
हाईकोर्ट ने 3 अक्टूबर को कहा कि ब्रिटेन हाईकोर्ट के न्याय, परिवार प्रभाग द्वारा पारित 14 अगस्त 2024 के आदेश में दी गई व्यवस्था को अगली सुनवाई की तारीख तक जारी रहने दें।
दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि जहां तक वीडियो कॉल का सवाल है, पत्नी को अपने बच्चों को याचिकाकर्ता पिता के साथ बिना निगरानी के कॉल करने की अनुमति देगी। 26 सितंबर को हाईकोर्ट ने महिला को बच्चों के साथ अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था। अब इस मामले की अगली सुनवाई 24 अक्टूबर को होगी।
वकील खालिद अख्तर ने दलील दी कि याचिकाकर्ता बच्चों का पिता है और उसे उनसे बात करने की अनुमति नहीं है। उन्हें उनकी मां यहां लेकर आई हैं।
याचिकाकर्ता यासिर अयाज ने वकील खालिद अख्तर और अब्दुल्ला अख्तर के माध्यम से बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की, जिसमें पति की ओर से बच्चों को हाईकोर्ट के समक्ष पेश करने और उसके बाद उन्हें तत्काल यूनाइटेड किंगडम वापस भेजने का निर्देश देने का आग्रह किया गया।
पति याचिका में पत्नी को पिता और बच्चों के बीच बातचीत सुविधाओं को सुविधाजनक बनाने का निर्देश देने की भी मांग की गई है। बताया गया है कि 2006 में दंपती की मुलाकात यूके में हुई और उन्होंने शादी कर ली। 2014 और 2018 में उनके दो बेटे पैदा हुए। याचिका में कहा गया है कि 31 अगस्त को पत्नी और बच्चे उसकी बहन के साथ भारत आए।
याचिकाकर्ता पति ने आरोप लगाया कि पत्नी के भारत जाने से पहले उसने उससे भारत में उसके पिता का फोन नंबर मांगा ताकि वह संपर्क में रह सकें, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि उसने पति को गलत नंबर दे दिया।
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