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संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ से हो रहे डेमोग्राफी बदलाव पर एक विस्तृत रिपोर्ट शुक्रवार को मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव (सीएस) को दी गई है। राष्ट्रीय जनजातीय आयोग की सदस्य डॉक्टर आशा लकड़ा के द्वारा यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री सचिवालय और मुख्य सचिव को दी है।
संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ से हो रहे डेमोग्राफी बदलाव पर एक विस्तृत रिपोर्ट शुक्रवार को मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव (सीएस) को दी गई है। राष्ट्रीय जनजातीय आयोग की सदस्य डॉक्टर आशा लकड़ा के द्वारा यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री सचिवालय और मुख्य सचिव को दी है। रिपोर्ट में डॉ. आशा लकड़ा ने बताया है कि संताल परगना में डेमोग्राफी परिवर्तन पर आयोग द्वारा राज्य के 19 जिलों में आदिवासी व सामाजिक संगठनों के साथ बैठक की गई।
इसके साथ ही प्रदेश की जनजातियों के विभिन्न क्षेत्रों का दौरा एवं जनजाति छात्रावासों व संस्थानों का निरीक्षण भी किया गया। पता चला कि राज्य के कुल 593 मामले आयोग में दर्ज थे। परंतु जनजाति सामाजिक संगठनों के साथ बैठक के बाद मामलों की संख्या में दो गुने वृद्धि हुई है। जनजातियों के सांस्कृतिक, धार्मिक, व पारंपरिक संस्थानों को बदला जा रहा।
डॉ. लकड़ा ने बताया है कि इस दौरान पाकुड़, साहिबगंज, जामताडा एवं गोड्डा में डेमोग्राफी बदलाव पाया गया। आवेदन के साथ राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति की आयोग की 154 वीं बैठक में पारित रिपोर्ट भी सीएम सचिवालय और सीएस को दी गई है। डॉ. लकड़ा ने बताया है कि उक्त रिपोर्ट को पढ़ने से पता चलेगा कि जनजातियों के रोटी, बेटी और माटी को किस प्रकार से छिना जा रहा है। साथ ही उनके सांस्कृतिक, धार्मिक, व पारंपरिक संस्थानों को बदला जा रहा है।
गृह विभाग और राज्यपाल को भी दी गई है रिपोर्ट। बता दें कि इससे पहले गुरुवार को राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने यह रिपोर्ट राज्यपाल और गृह विभाग को सौंपी थी। रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि संताल में केवल आदिवासियों की अस्मिता, संस्कृति और समाज को ही खतरा नहीं है बल्कि हिंदू भी खतरे में है। पाकुड़ में कई आदिवासी परिवारों के साथ हो रहे दर्दनाक वारदातों का जिक्र भी आयोग की रिपोर्ट में किया गया।
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