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जयपुर शहर के आबकारी अधिकारी अंकित कुमार अवस्थी दो दिनों से चर्चा में है। कारण…2 साल 10 महीने की सर्विस के बाद सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया। वे 5 करोड़ का पैकेज छोड़ आबकारी अधिकारी बने थे।
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सरकारी नौकरी छोड़ने की वजह रही…रिश्तेदार। अंकित का कहना है कि जब जयपुर के वैशाली नगर में करोड़ों का मकान बनाया तो लोग कहने लगे कि भ्रष्टाचार के रुपए है, जो ट्रक भर-भर कर पैसे आ रहे हैं।
इसके बाद डर लगने लगा कि लोग उनकी मेहनत की कमाई को रिश्वत समझने लगे। आगे भी कुछ करेंगे तो रिश्वत से ही जोड़ेंगे। अंकित ने बताया- मैंने तो गवर्नमेंट जॉब लगने से पहले कोरोना में ईमानदारी से 1 करोड़ का टैक्स दिया था।
अंकित यू-ट्यूब समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बच्चों को गाइड भी करते है। उनके अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफाॅर्म पर 1 करोड़ फॉलोअर्स हैं।
पढ़िए अंकित से बातचीत के प्रमुख अंश…
सवाल: आपने अचानक नौकरी छोड़ दी, ऐसा क्या हो गया?
जवाब: मैं साल 2011 से शिक्षक हूं। कई कोचिंग में पढ़ा चुका हूं। कोटा, दिल्ली व ऑनलाइन के नेशनल प्लेटफॉर्म पर पढ़ा चुका। किसी ने मुझे टोका कि कभी खुद का एग्जाम निकले तो बताना। तब मैंने आरएएस का एग्जाम पहले प्रयास में क्वालीफाई कर लिया। नौकरी में आने के बाद पढ़ाने को बहुत अधिक मिस करने लगा। अब नौकरी से इस्तीफा इसलिए दिया कि पढ़ाकर दूसरे कई लोगों को नौकरी दिला सकूं।
अंकित कुमार अवस्थी नौकरी के दौरान बतौर आबकारी अधिकारी पोस्टेड थे। इस दौरान कई कार्रवाई की।
सवाल: लोगों के बीच ये चर्चा है कि नौकरी के दौरान आपने जयपुर में करोड़ों रुपए का मकान बनाया ?
जवाब: मैं पूरी बात बताता हूं। साल 2021 में मेरी सरकारी नौकरी लगी। आरएएस परीक्षा का दुर्भाग्य है कि सिलेक्शन के बाद जॉइनिंग में समय लगता है। कोराेना में पढ़ाई के समय बतौर टीचर करोड़ों के पैकेज पर काम किया। उस समय जमा पूंजी का उपयोग कोरोना में कर नहीं पाया। नौकरी लगने के बाद जमा पैसे से ट्रेनिंग के दौरान ही जयपुर के वैशाली नगर में 3 करोड़ का घर खरीद लिया। तब अपने लोग ही कहने लग गए कि ट्रक भर भर कर पैसा आ रहा है।
सवाल: जब रिश्तेदारों ने भ्रष्टाचार के पैसे की बात कही तब उस समय आपने उनको क्या जवाब दिया?
जवाब: इस बात के साथ गहरी निराशा थी। निराशा थी कि समाज भ्रष्टाचार को तारीफ के साथ लेने लगा है। मैं कहता हूं कि प्रोफेसर की बड़ी तनख्वाह होती है। बहुत से जॉब में काफी पैसा मिलता है। सरकारी सेवा में कुछ पद ऐसे हैं कि लोग कहने लग जाते है कि नंबर दो का माल आता होगा। आबकारी के ट्रक आते होंगे। मकान की बधाई में मुझे भ्रष्टाचार का पदक मिला। टीचर से भ्रष्टाचार की अपेक्षा नहीं कर सकते। ये बहुत ही आश्चर्यजनक था। तब मुझे लगा कि कुछ और करने की जरूरत है। इस पद को लेकर बनी भ्रष्टाचार की छवि को मैं साथ नहीं लेकर चल पा रहा था। बेवजह लोग भ्रष्टाचार का पैसा आने की मानने लग गए।
सवाल: लोगों का आरोप है कि आप कोचिंग से बड़ा व्यापार करना चाहते है इसलिए सरकारी नौकरी छोड़ी ?
जवाब:व्यापार करना देश में कहीं गलत नहीं है। व्यापार अच्छा तब है, जब आप सरकार को टैक्स दे रहे है और अपना काम बखूबी से कर रहे है। मैं मेरे काम को कोचिंग के माध्यम से आगे ले जाना चाहता हूं तो गलत कहां है, ये तो सकारात्मक पहलू है।
सवाल: आप पर ये भी आरोप लगे और ट्रोल भी हुए कि सरकारी अधिकारी रहते हुए सोशल मीडिया से पैसे कमा रहे हैं ?
जवाब: मैंने जो भी काम किया सरकारी परमिशन से किया। रही बात सोशल मीडिया से पैसे कमाने की तो एक भी रुपए की कमाई मेरी इस प्लेटफॉर्म के जरिए नहीं है।
सवाल: बस यही बात अधिक चुभ गई या कोई और भी कारण रहा?
जवाब: मुझे लगने लगा कि मेरी ऑरिजनल हार्ड मनी को आने वाला जमाना भ्रष्टाचार से जोड़ेगा। तब मैं समाज को कैसे सही मैसेज दे सकूंगा।
सवाल: क्लास में एक बच्चे के कमेंट ने आपको नौकरी में आने को मजबूर किया? क्या ये सच है ?
जवाब: पहले मैं क्लास में बच्चों को कहता था कि गोल्ड मेडलिस्ट हूं। तब एक बच्चे ने कह दिया था कि कभी खुद एग्जाम निकालो तो बताना। इस बात में मुझे गहराई लगी। इसके बाद मैंने आरएएस बनने की सोच ली। अब मेरे पास आरएएस बनने और छोड़ने का अनुभव भी है। सरकारी नौकरी नहीं मिलने पर लोग तनाव में भी आ जाते हैं। कुछ सुसाइड तक कर लेते हैं। मैं कहता हूं कि सरकारी नौकरी मिलना ही सब कुछ नहीं है। टीचर तो हमेशा अपने जीवन को नजीर के रूप में पेश करता है।
सवाल: अब आगे आप क्या करेंगे, उन लोगों को क्या कहेंगे कि कैसे पैसे कमाया, जिन्होंने आपके मकान पर सवाल खड़े किए ?
जवाब: अनएकेडमी में करीब 5 करोड़ रुपए कमा लेता था। वो छोड़कर मैंने आरएएस बनने की सोची। ताकि मैं आरएएस बनकर प्रेरणा दे सकूं। मेरे साथ घर परिवार के कई लोग अधिकारी बन गए।
सवाल: RAS भर्ती पर कई सवाल खड़े हो गए, आपकाे क्या लगता है ?
ये सत्य है कि सब नकल से सिलेक्ट नहीं हुए। लेकिन जो मेहनत कर रहा था, उसे उसके हिसाब से रिवॉर्ड नहीं मिला। मेरी परीक्षा में 235वीं रैंक थी। जबकि मैंने बाहर आकर अनाउंस किया था कि टॉप 50 में आने वाला हूं। जब इतना पीछे आया तो लगा कुछ तो गड़बड़ है। आरोप सुनने में आते हैं, ये तो जांच एजेंसी से ही सामने आ सकेगा।
सवाल: आपके पास भी कोई रिश्वत के लिए ऑफर आया क्या?
जवाब: मैं एक सवाल पूछ लेता हूं, क्या आपने ट्रेन में सीट पाने के लिए टीटी से सीट के रिक्वेस्ट की है। ट्रेन में सीट के लिए 100 रुपए देते हैं। आपने पुलिस वाले पर कभी सोचा कि यह 100 रुपए लेकर साइड हो जाएगा। मतलब किसी के पकड़ने पर रिश्वत देने पर काम हो जाएगा। इन सबका मतलब क्या है।
फिल्ड में ड्यूटी के दौरान टीम के साथ अंकित अवस्थी।
सवाल: आपके साथ नौकरी लगने वाले आपके स्टूडेंट भी रहे होंगे? क्या कोई आपका बॉस भी स्टूडेंट मिला?
जवाब: बहुत हैं, मेरी ट्रेनिंग में कई ऐसे साथी मिले, जिन्होंने मेरे चरण स्पर्श किए। कइयों ने कहा कि आपसे पढ़कर यहां तक पहुंचे। यह बहुत खुशी के पल होते हैं।
सहयोग: महेंद्र सैनी,जयपुर
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