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नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह युवाओं को मादक पदार्थों की दुनिया में धकेल रही है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार नशामुक्त भारत के लिए जीरो टॉलरेंस नीति अपना रही…
– पद और कद देखे बिना पूरे ड्रग तंत्र को खत्म कर नशामुक्त भारत बनाना लक्ष्य नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। ड्रग कारोबार से जुड़े 5600 करोड़ रुपये के मादक पदार्थ जब्ती मामले में भाजपा कांग्रेस पर लगातार हमलावर है। शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मामले पर कांग्रेस पर करारा हमला करते हुए कहा है कि जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार युवाओं को खेल, शिक्षा और इनोवेशन की ओर ले जा रही है, वहीं प्रमुख विपक्षी दल उन्हें ड्रग्स की अंधेरी दुनिया में ले जाना चाहता है।
शाह ने ‘एक्स पर एक पोस्ट में कांग्रेस नेतृत्व को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने एक पोस्ट में कहा, एक ओर जहां मोदी सरकार नशामुक्त भारत के लिए कतई न बर्दाश्त करने की नीति (जीरो टॉलरेंस) अपना रही है, वहीं उत्तर भारत से पकड़ी गई ड्रग्स की 5,600 करोड़ रुपये की खेप में कांग्रेस के एक प्रमुख व्यक्ति की संलिप्तता बेहद खतरनाक और शर्मनाक है। शाह ने कहा कि कांग्रेस के शासन में मादक पदार्थों से पंजाब, हरियाणा और समग्र उत्तर भारत में युवाओं का जो हाल हुआ, वह सभी ने देखा है।
भाजपा ने गुरुवार को आरोप लगाया था कि 5,600 करोड़ रुपये की जब्ती मामले में गिरफ्तार मुख्य आरोपी भारतीय युवा कांग्रेस की दिल्ली इकाई के सूचना का अधिकार (आरटीआई) प्रकोष्ठ का अध्यक्ष है। हालांकि, कांग्रेस ने इन आरोपों को निराधार एवं झूठा करार देते हुए कहा कि सत्तारूढ़ दल ने जिस मुख्य आरोपी तुषार गोयल का जिक्र किया है, उसे 17 अक्तूबर, 2022 को ही संगठन से पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निष्कासित कर दिया गया था। केंद्रीय गृह मंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता अपने राजनीतिक रसूख से युवाओं को मादक पदार्थो के दलदल में झोंकने का काम कर रही है। परंतु, मोदी सरकार कभी ऐसा होने नहीं देगी। उन्होंने कहा, हमारी सरकार, ड्रग्स के कारोबारियों का राजनीतिक पद या कद देखे बिना, ड्रग्स के पूरे तंत्र का खात्मा कर नशामुक्त भारत बनाने के लिए संकल्पित है।
भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने शाह के पोस्ट का उल्लेख करते हुए कहा है कि 5600 करोड़ रुपये की जब्ती मामले में गिरफ्तार मुख्य आरोपी को भारतीय युवा कांग्रेस की दिल्ली इकाई के सूचना का अधिकार (आरटीआई) प्रकोष्ठ का अध्यक्ष बनाया गया था। जब यह मामला उजागर हुआ तो उसने स्पष्टीकरण में कहा कि उसे दो साल पहले ही पद से हटा दिया गया था। भाटिया ने कहा कि वह दस्तावेज मौजूद है जिसमें उसे अध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन हटाने का कोई दस्तावेज नहीं है। ऐसे में कैसे मान लिया जाए कि उसे हटाया गया था।
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