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Israel Attack On Lebanon: लेबनान ने बुधवार (02 अक्टूबर) को इजराइल पर आरोप लगाया है कि उसने बेरूत के के बाचौरा जिले में एक आवासीय इमारत को निशाना बनाकर किए गए हाल के हमलों में फास्फोरस बम का इस्तेमाल किया गया, जिसमें हिजबुल्लाह से जुड़े सात नागरिक फर्स्ट रिस्पांडर मारे गए.
न्यूज एजेंसी एपी के अनुसार,वहां के लोगों ने हमले के बाद सल्फर जैसी गंध पैदा होने की सूचना दी. मानवाधिकार संगठनों ने पहले भी इजरायल पर व्हाइट फास्फोरस आग लगाने वाले बम का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था.
व्हाइट फास्फोरस क्या है?
व्हाइट फास्फोरस एक जहरीला मोम जैसा पदार्थ है, जो 800 डिग्री सेल्सियस (लगभग 1,500 डिग्री फारेनहाइट) से ज्यादा तापमान पर जलता है. यह आमतौर पर रंगहीन, सफेद या पीला होता है और इसमें लहसुन जैसी गंध होती है. यह ऑक्सीजन के संपर्क में आते ही जल उठता है. एक बार आग लग जाने के बाद इसे बुझाना बहुत मुश्किल होता है और यह त्वचा और कपड़ों जैसी सतहों पर चिपक जाता है. इसे तोपखाने के गोले, बम, रॉकेट या ग्रेनेड सहित कई माध्यमों से पहुंचाया जा सकता है.
व्हाइट फास्फोरस के प्रभाव
फास्फोरस को जलाने से निकलने वाला धुआं फास्फोरिक एसिड और फास्फीन की मौजूदगी के कारण आंखों और श्वसन तंत्र के लिए भी हानिकारक है. व्हाइट फास्फोरस गहरी और गंभीर जलन पैदा कर सकता है, यहां तक कि हड्डी में भी घुस सकता है. सफेद फास्फोरस से जलने वाले पीड़ितों के साथ चिकित्सा कर्मियों के दूसरे संपर्क से बचने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए. ऑक्सीजन के संपर्क के कारण उपचार के दौरान या बाद में व्हाइट फास्फोरस फिर से जल सकता है. इससे ब्लेफेरोस्पाज्म, फोटोफोबिया, लैक्रिमेशन और आंखों में जलन हो सकता है. फास्फोरस से निकलने वाला धुआं जलन, खांसी, सिरदर्द का कारण बन सकता है.
अंतर्राष्ट्रीय संधियां और समझौते
सफेद फास्फोरस को अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों की ओर से स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित नहीं किया गया है और यह केमिकल वेपन कॉन्फ्रेंस (CWC) के तहत एक केमिकल हथियार नहीं है, क्योंकि यह एक आग लगाने वाले एजेंट के रूप में काम करता है. हालांकि, सफेद फास्फोरस का इस्तेमाल कुछ पारंपरिक हथियारों में कर सकते हैं. इसका उपयोग जानबूझकर नागरिकों के खिलाफ सीधे तौर पर नहीं करना चाहिए. वहीं,युद्ध के मैदान को रोशन करने और संकेत देने के उद्देश्यों के लिए सैन्य उपयोग के लिए मना नहीं है.
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