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राजनीति को साम-दाम, दंड-भेद के गठजोड़ से अलग कर नहीं देखा जा सकता। इन दिनों चुनावों में बात से पलटने व हिंसा फैलाने वाले बयानों की झड़ी लगी है, लेकिन हरियाणा में ऐसे नेता भी रहे, जिन्होंने सत्य, अहिंसा व त्याग के मार्ग पर चलकर नेताओं ही नहीं समाज को भी
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आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर हम बात कर रहे हैं, हरियाणा के कुछ ऐसे ही नेताओं की जिन्होंने गांधीजी की तरह ही सत्य-अहिंसा का साथ नहीं छोड़ा। स्वामी आर्यवेश बताते हैं कि 1982 में किलोई विधानसभा से चौ. चरण सिंह ने एडवोकेट हरिचंद हुड्डा को लोकदल से टिकट दी। साथ ही 20 हजार रुपए भी दिए।
हरिचंद ने प्रचार के लिए न कोई टीम बनाई और न ही कोई व्यवस्था की। वे किराए की ऑटो लेकर अकेले ही प्रचार के लिए निकल पड़े। खाना भी घर पर खाकर जाते। हुक्का पीने वालों की बैठकों में पहुंच जाते और कहते, ‘चौ. साहब ने टिकट दे दी है। अब तुम जानो और चौधरी साहब। मैं तो उनका एक हरकारा हंू। वोट दे दोगे तो कह दूंगा कि आपकी इज्जत रख दी।’ प्रचार में उनके 7 हजार रुपए खर्च हुए। बाकि 13 हजार रुपए दिल्ली में चौ. चरण सिंह को वापस करने पहुंच गए।
इस पर चौ. चरण सिंह ने कहा कि आप मजाक कर रहे हो क्या? इस पर हुड्डा ने कहा कि मैंने तो ऑटो में बैठकर आपके नाम पर वोट मांग ली और लोगों ने जीता दिया। चरण सिंह ने उन्हें कहा कि सच बोलकर आपने विधानसभा ही नहीं दिल भी जीत लिया। ऐसे नेता अब विरले ही मिलते हैं।
न भड़के हिंसा, इसलिए किसानों के हित में करवाया फैसला
हरियाणा अध्ययन केंद्र के निदेशक प्रो. एसएस चाहर बताते हैं कि वर्ष 1937 में किसान गेहूं की फसल के लिए 10 रुपए प्रति मण सरकारी खरीद मूल्य की मांग रहे थे। पीएम सिकन्दर हयात खान ने बैठक बुलाई। सर छोटूराम विकास एवं राजस्व मंत्री थे। मंडी के खरीदार भी बैठक में शामिल हुए। उस समय गेहूं का भाव 6 रुपए प्रति मण था। खरीदारों ने कहा कि हम भाव 7 रुपए तक कर देंगे। छोटूराम ने कहा कि किसान नहीं मानेंगे। पंजाब के किसान फसल जलाने तक तैयार हैं।
पीएम ने छोटूराम की गिरफ्तारी के आदेश दे दिए। लेकिन पंजाब के गर्वनर ने छोटूराम को गिरफ्तार करवाने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्हें हाथ लगाया तो किसान भड़क उठेंगे। अभी छोटूराम की वजह से ही शांत हैं। इसके बाद गेहूं के दाम 10 रुपए प्रति मण कर दिए गए। सर छोटूराम की अहिंसा की नीति पर चलने की जीत हुई।
चरण सिंह को समझाया- गैर जाट सीएम से नाराजगी बढ़ेगी
लोकतंत्र रक्षा मंच के अध्यक्ष जोगेंद्र हुड्डा बताते हैं कि वर्ष 1977 में जनता पार्टी सत्ता में आई तो चौ. चरण सिंह की पार्टी में चौ. चांदराम हरियाणा अध्यक्ष थे। चुनाव में जनता पार्टी के 75 विधायक जीते। जनसंघ व जनता पार्टी में सहमति बनी कि देशभर में आठ सीएम बनाए जाने हैं। इसमें चार सीएम जनता पार्टी तो 4 जनसंघ के हिस्से में थे। चरण सिंह के हिस्से में बिहार, यूपी, उड़ीसा और हरियाणा आए। चरण सिंह चारों राज्यों में गैर जाट सीएम देना चाहते थे।
उन्होंने अपने करीबी व प्रदेशाध्यक्ष चौ. चांदराम को सीएम कुर्सी ऑफर की, लेकिन चांदराम ने उन्हें सच्चाई से वाकिफ कराया कि इस राज्य में गैर जाट सीएम से जनता में नाराजगी बढ़ेगी। इसलिए चौ. देवीलाल को सीएम बनाया जाए। इस तरह चांदराम ने सीएम की कुर्सी त्याग दी।
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