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दिल्ली पुलिस ने धोखाधड़ी के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। शिकायतकर्ता ने इनके ऊपर 2.39 करोड़ रुपए की ठगी का आरोप लगाया है।
दिल्ली पुलिस ने पेट्रोलियम मंत्रालय के पूर्व संविदा कर्मचारी समेत तीन लोगों को धोखाधड़ी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। इन लोगों ने तीन साल पहले 2.39 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी को अंजाम दिया था। पीड़ित ने आरोप लगाया है कि उसे नजफगढ़ में सस्ती दरों पर सीएनजी पंप लगाने के बहाने ये पैसे लूटे गए हैं। पुलिस ने गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान अमित कुमार पांडे, अमरेंद्र कुमार और अमर सिंह के तौर पर की है। अमित कुमार इस धोखाधड़ी का मास्टरमाइंड है। 62 साल के अमर सिंह, पूर्व केंद्र सरकार के कर्मचारी है; यही इस मामले में सूत्रधार हैं।
ठगी के जाल में ऐसे फसाया
पुलिस ने बताया कि हमने दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश के तमाम ठिकानों पर छापामारी की है। इसमें कई तरह के जाली दस्तावेज और सिम कार्ड बरामद हुए हैं। अमित कुमार पांडे और अमरेंद्र कुमार ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल क्राइम ब्रांच से जुड़ी शाखा को पहले ही सरेंडर कर दिया था। पांडे और कुमार ने बताया कि वो कॉर्डीनेटर की भूमिका में थे। उन्होंने शिकायतकर्ता से संपर्क किया, क्योंकि वह साल 2021 में सीएनजी और पेट्रोल पंप लगाने की प्रॉसेस को ऑनलाइन सर्च कर रहा था। जबकि अमर सिंह ने शिकायतकर्ता को नकली साइट विजिट कराई थी और उसे फर्जी क्लियरेंस रिपोर्ट उपलब्ध कराई थी।
फर्जी दस्तावेजों की मदद से ऐसे ठगे करोड़ों
दोनों व्यक्तियों ने पीड़ित को कम से कम कागजी कार्रवाई के सीएनजी पंप दिलाने का वादा किया था। वादे के मुताबिक दिया गया पंप जाली दस्तावेजों की मदद से बनाया गया था। इसमें रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, बैंक अकाउंट डिटेल और इन्वॉ सहित जीएसटी नंबर भी शामिल था। सभी कागजादों को फर्जी ई-मेल आईडी के जरिए भेजा गया था। शिकायतकर्ता ने बताया कि इसके लिए उसने अलग-अलग चरणों में 2.39 करोड़ रुपयों का भुगतान किया था।
कैश और अकाउंट दोनों के जरिए लिए पैसे
जिन खातों में पैसों का लेन-देन हुआ, वो अलग-अलग नामों से थे। ये खाते म्यूल अकाउंट थे। यानि ऐसे खातों का इस्तेमाल अपराधियों द्वारा पैसों को ठिकाने लगाने के लिए किया जाता है। पीड़ित ने बताया कि उसने 1.79 करोड़ रुपए इन खातों के जरिए दिए थे। इन्हें इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड के नाम से दिया गया था। जबकि बाकी के 60 लाख रुपए कमीशन के नाम पर कैश में दिए गए थे। पुलिस ने बताया कि अंतिम रकम 2023 में कैश में दी गई थी। इसके तुरंत बाद नकली रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट दिया गया था। फिलहाल पुलिस इन अकाउंट और जाली दस्तावेजों की मदद से जांच में जुटी हुई है।
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