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दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के चुनाव के लिए शुक्रवार को वोट डाले गए। इस दौरान शाम करीब छह बजे तक विश्वविद्यालय के उत्तरी और दक्षिणी परिसरों में 1.45 लाख से अधिक विद्यार्थियों ने मतदान किया। वोटों की गिनती अब शनिवार की बजाय 21 अक्तूबर के बाद होगी।
दरअसल दिल्ली हाई कोर्ट ने चुनाव के लिए गंदी की गईं सार्वजनिक संपत्तियों की सफाई होने तक डूसू के चुनाव परिणामों पर लगी रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि पोस्टर, होर्डिंग, दीवारों पर लिखे नारे समेत भवनों को गंदा करने वाली सामग्री जब तक नहीं हटा दी जातीं तथा सरकारी संपत्तियों को उनके मूल रूप में नहीं ले आया जाता है।
नियुक्त निर्वाचन अधिकारी राजेश सिंह ने कहा कि मतों की गिनती अदालत की अगली सुनवाई के बाद होगी। उन्होंने कहा, ‘अदालत मामले में 21 अक्टूबर को सुनवाई करेगी। उसके बाद ही हम मतगणना की तारीख तय करने की स्थिति में होंगे।’
जिसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव के लिए विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर (नॉर्थ कैम्पस) में छात्र संगठनों द्वारा लगाए गए सभी पोस्टर एवं बैनर को हटाने का एक अभियान शुक्रवार को शुरू कर दिया गया।
इस विषय पर, डूसू चुनाव के पीठासीन अधिकारी राजेश सिंह ने कहा, ‘नियमों का उल्लंघन करने वाले अधिकतर होर्डिंग, पोस्टर एवं बैनर हटा दिये गए हैं। इस तरह के अन्य सभी पोस्टर को हटाने की प्रक्रिया जारी है। हमने चुनाव लड़ रहे सभी प्रत्याशियों को बैठक के लिए बुलाया और उन्हें इन प्रचार सामग्री को हटाने का निर्देश दिया।’
इस बीच, शुक्रवार को विश्वविद्यालय के उत्तरी एवं दक्षिणी परिसरों में डूसू चुनाव के लिए मतदान हुआ। मतदान करने पहुंचे विद्यार्थियों ने कहा कि परिसर पहले की तुलना में अब अधिक साफ है।
एक छात्रा ने कहा कि बड़े बैनर एवं पोस्टर रातोंरात लगभग हटा दिये गए। उसने कहा कि एक समय जिन सड़कों बड़े-बड़े बैनर-पोस्टर लगे हुए थे, अब वे साफ-सुथरी दिखाई दे रही हैं।
इस बीच गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय और इसके कॉलेजों के अधिकारी लिंगदोह समिति के दिशानिर्देशों के सही मायने को समझने में विफल रहे हैं, जिनमें छात्र संघ चुनावों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और प्रिंटेड पोस्टरों के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई थी। अदालत ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय और कॉलेजों के अधिकारियों ने लिंगदोह समिति के दिशानिर्देशों की अवहेलना की है।
सार्वजनिक संपत्तियों की सफाई तक मतगणना नहीं
मनोनीत मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने 26 सितंबर के अपने आदेश में ये टिप्पणियां कीं। इसे शुक्रवार को हाई कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया। अदालत ने अपने इस आदेश के जरिए पोस्टर, होर्डिंग हटाए जाने और ग्रैफिटी को मिटाये जाने तथा सार्वजनिक संपत्ति को पूर्व रूप में लाने तक दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनावों की मतगणना रोक दी है।
अदालत एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें सार्वजनिक दीवारों की सुंदरता को नुकसान पहुंचाने, विकृत करने, गंदा करने या नष्ट करने में शामिल संभावित डूसू उम्मीदवारों और छात्र संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी।
मैदान में हैं कुल 21 उम्मीदवार
दिल्ली विश्व विद्यालय छात्रसंघ चुनाव के लिए कुल 21 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें अध्यक्ष पद के लिए आठ, उपाध्यक्ष के लिए पांच और सचिव और संयुक्त सचिव के पदों के लिए चार-चार उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।
इस साल भाजपा की छात्र ईकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी), कांग्रेस समर्थित छात्र संगठन नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) तथा ‘ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन’ (आइसा) व ‘स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया’ (एसएफआई) के वामपंथी गठबंधन के बीच मुख्य मुकाबला है।
अध्यक्ष पद के लिए एबीवीपी के ऋषभ चौधरी, एनएसयूआई के रौनक खत्री और आइसा की सावी गुप्ता के बीच कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है। उपाध्यक्ष पद पर एबीवीपी के भानु प्रताप सिंह, एनएसयूआई के यश नांदल और आइसा के आयुष मंडल के बीच मुकाबला है।
सचिव पद के लिये एबीवीपी की मित्रविंदा करनवाल का मुकाबला एनएसयूआई की नम्रता जेफ मीणा और एसएफआई की अनामिका के. से है। संयुक्त सचिव पद के लिए एबीवीपी के अमन कपासिया, एनएसयूआई के लोकेश चौधरी और एसएफआई की स्नेहा अग्रवाल आमने-सामने हैं। फिलहाल डूसू के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और संयुक्त सचिव एबीवीपी से, जबकि सचिव एनएसयूआई से हैं।
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