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India-US Relation: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान डोनाल्ड ट्रंप या कमला हैरिस से मुलाकात न करने का मुख्य कारण भारत की अमेरिकी राजनीति में अपना पक्ष न्यूट्रल बनाए रखने का था. भारत ये बिलकुल नहीं चाहता था की अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान कोई भी ऐसी स्थिति बने जिसे पक्षपात की झलक देखने को मिले. बता दें कि भारत मौजूदा वक्त में एक मात्र ऐसा देश है, जिसके रिश्ते ज्यादातर देशों के साथ अच्छे हैं. ये एक सफल कूटनीति कला का परिचय है. इसका ताजा उदाहरण उस वक्त देखने को मिला, जब देश के प्रधानमंत्री रूस के अलावा यूक्रेन दौरे पर भी गए.
बता दें कि PM मोदी के अमेरिका दौरे से पहले राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने मिशिगन में एक रैली के दौरान मोदी से मुलाकात करने की बात कही थी, लेकिन भारत ने कभी इसकी पुष्टि नहीं की. भारतीय अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि पीएम मोदी दोनों प्रमुख राजनीतिक उम्मीदवारों (ट्रंप और हैरिस) में से किसी से भी नहीं मिलेंगे. ताकि कोई ऐसा संदेश न जाए की भारत अमेरिका के चुनाव में किसी एक का पक्ष ले रहा है.
अमेरिकी राजनीति में हस्तक्षेप न करने की कोशिश
HT हिंदी की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप से न मिलने के फैसले के पीछे ये भी एक कारण था कि 2019 में “हाउडी मोदी” और 2020 में “नमस्ते ट्रंप” कार्यक्रमों के बाद धारणा बनी थी कि भारत अमेरिकी चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन कर रहा है, जिसे सुधारने के लिए भारत को काफी मेहनत करनी पड़ी थी. हालांकि, इस बार भारत ने खुद को चुनावी माहौल से अलग रखते हुए पिछली बार की तरह किसी भी एक राष्ट्रपति उम्मीदवार से न मिलकर ये मैसेज देने की पूरी कोशिश की कि वो किसी भी तरह से जाने-अनजाने में इलेक्शन को इन्फ्लुएंस नहीं करना चाहता है.
दूसरी तरफ ट्रंप और कमला हैरिस दोनों राष्ट्रपति चुनाव के चलते अपने प्रचार अभियानों में व्यस्त थे, जिससे मुलाकात करने का समय भी नहीं मिल पाया. हलिया यात्रा के दौरान भारतीय अधिकारियों ने यह सुनिश्चित किया कि भारत की नीति न्यूट्रल बनी रहे और अमेरिकी राजनीति में हस्तक्षेप के कोई संकेत न मिले.
पीएम मोदी कई नेताओं से मिले
अमेरिकी दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाल के पीएम केपी ओली से मुलाकात की. इसके अलावा उन्होंने अमेरिकी टेक कंपनी के सीईओ के साथ एक बैठक में हिस्सा लिया. क्वाड शिखर सम्मेलन के इतर पीएम ने कुवैत के क्राउन प्रिंस महामहिम शेख सबा खालिद अल-हमद अल-सबा के साथ बातचीत की. साथ ही युद्ध ग्रस्त देश जैसे फिलिस्तीन और यूक्रेन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास और वलोडिमिर ज़ेलेंस्की से भी मिले.
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