[ad_1]
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदनों में हंगामे पर चिंता जताई। उन्होंने पीठासीन अधिकारियों से कार्यवाही को गरिमामय बनाए रखने का आग्रह किया। उन्होंने पंचायतों और नगर पालिकाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर…
या, सदनों में हंगामा चिंता का विषय, पीठासीन अधिकारी सबकी भागीदारी तय करें : बिरला
– 10वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की बैठक में कई विषयों पर हुई चर्चा
– नवंबर में सिडनी में होगा राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने लोकसभा और विधानसभाओं में हंगामे पर मंगलवार को चिंता जताई है। उन्होंने सभी विधानमंडलों के पीठासीन अधिकारियों से सदन की कार्यवाही का गरिमा, शिष्टाचार और भारतीय मूल्यों के साथ संचालन करने का आग्रह किया है। कल्याणकारी योजनाओं को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए पंचायतों तथा नगर पालिकाओं की भूमिका को महत्वपूर्ण करार दिया।
10वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (भारत क्षेत्र) की दो दिवसीय बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने देश और राज्यों के विकास में विधानमंडलों की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक संस्थाओं को जनता की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए लगातार उनके साथ जुड़े रहना चाहिए। इसके साथ उन्होंने पीठासीन अधिकारियों से लोकतांत्रिक संस्थाओं को अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और परिणामोन्मुखी बनाने की दिशा में कदम उठाने का आग्रह किया।
संसदीय प्रक्रिया को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाया जाएगा
संसद और विधानसभाओं में किए जा रहे नए प्रयासों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि संसद को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाया जा रहा है। इसमें सदन की चर्चा, समितियों की बैठकों को कहीं भी देखा जा सकता है। किसी सांसद के किसी भी विषय पर संसद में दिए भाषण को एक क्लिक पर सुन सकते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के विधानसभाओं को भी इसके साथ जोड़ा जाएगा। राज्य विधानमंडलों के डिजिटलीकरण से एक राष्ट्र एक डिजिटल प्लेटफॉर्म का सपना साकार किया जा सकता है।
नवंबर में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में होने वाले 67वें राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सम्मेलन में लोकतंत्र की मजबूती, सामाजिक सशक्तीकरण, मानव तस्करी, लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती और जनप्रतिनिधियों पर हमले जैसे विषयों पर चर्चा होगी। यह सवाल किए जाने पर कि भारत से सम्मेलन में कितने प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे, उन्होंने कहा कि इसमें विधानमंडलों से भी सदस्य हिस्सा लेते हैं, ऐसे में फिलहाल सदस्यों की संख्या तय नहीं है।
राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में इन विषयों पर मंथन होगा
1.संपर्क सूत्र का निर्माण, मूल निवासियों के साथ सार्थक रूप से जुड़ने के लिए संसदीय फ्रेमवर्क
2.संसदीय प्रक्रियाओं और प्रथाओं में एआई का उपयोग, अवसर और चुनौतियां
3.सांसदों के विरुद्ध हिंसा और दुर्व्यवहार, राष्ट्रमंडल से केस स्टडीज
4.विधानमंडल एलजीबीटीक्यू भागीदारी का सर्वोत्तम समर्थन और प्रचार कैसे कर सकते हैं
5.राष्ट्रमंडल देशों में मानव तस्करी, शरणार्थी और आप्रवासनः चुनौती अथवा अवसर
6.बेंचमार्किंग, मानक और दिशा-निर्देश, सर्वोत्तम अभ्यास को अपनाने के माध्यम से लोकतांत्रिक संस्था को मजबूत करना
7.भेदभावपूर्ण कानून का मुकाबलाः लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ सक्रियता
8.दिव्यांग व्यक्तियों के लिए समावेशी निर्वाचन प्रक्रिया
[ad_2]
Source link