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राजस्थान हाई कोर्ट ने आरसीए के पूर्व पदाधिकारियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर के मामले में मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि एसएमएस स्टेडियम सरकारी संपत्ति है। ऐसे में इसे आरसीए जैसी निजी सोसायटी को कैसे दिया जा सकता है?
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जस्टिस समीर जैन की अदालत ने कहा कि इसके लिए किस अथॉरिटी के साथ एमओयू किया गया। इस मामले में अदालत ने प्रमुख खेल सचिव को भी 7 अक्टूबर को पेश होने के लिए कहा है। अदालत ने यह आदेश आरसीए के पूर्व सचिव भवानी शंकर सामोता व अन्य की याचिका पर दिए।
सरकार बदलने के साथ ही आरोप-प्रत्यारोप शुरू दरअसल, आरसीए की एडहॉक कमेटी ने 8 अगस्त को याचिकाकर्ताओं के खिलाफ ज्योति नगर पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करवाई थी। जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने आरसीए में अपने कार्यकाल के दौरान दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी कर करोड़ों रुपए का घोटाला किया है।
हाई कोर्ट ने एडहॉक कमेटी की ओर से आरसीए के पूर्व पदाधिकारियों पर लगाए आरोपों के संबंध में कहा कि जब भी राज्य सरकार बदलती है, तब इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता है। अदालत ने कहा कि यह बहुत ही गंभीर मामला है, साधारण आदमी स्टेडियम में जा नहीं सकता, लेकिन सोसायटी के कुछ लोग उसका उपयोग कर रहे हैं।
अदालत ने याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं को कहा कि इस मामले में उन्हें राज्य की स्पोर्टस कौंसिल, रजिस्ट्रार और कोपरेटिव सोसायटी को भी पक्षकार बनाया जाना चाहिए। वहीं एडहॉक कमेटी के अधिवक्ता से पूछा है कि कमेटी ने किस पत्र के आधार पर एफआईआर दर्ज कराई।
आरसीए के पूर्व सचिव भवानी शंकर सामोता, संयुक्त सचिव राजेश भड़ाना व कोषाध्यक्ष रामपाल ने इस एफआईआर को हाईकोर्ट में चुनौती दी हैं।
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