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नीति आयोग ने भविष्य में गंभीर बीमारियों के खतरे से निपटने के लिए त्वरित रिस्पांस नियामक बनाने की सिफारिश की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 30 वायरसों का खतरा है, और ऐसे सिस्टम विकसित करने की आवश्यकता…
– आने वाले समय में कई गंभीर बीमारियों के फैलने का खतरा, निपटने के लिए बनाया जाए त्वरित रिस्पांस नियामक – नीति आयोग ने कई स्तर पर बड़े बदलाव की करी सिफारिश, महामारी अधिनियम की जगह बनाया जाए विशिष्ट सार्वजनिक अधिनियम
नई दिल्ली। प्रमुख संवाददाता
भविष्य में कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए भारत को कई मोर्चों पर पुख्ता इंतजाम करने होंगे। ऐसे में महामारी की स्थिति से निपटने के लिए त्वरित रिस्पांस नियामक का गठन करने और बड़े बदलाव की आवश्यकता है। हाल ही में नीति आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट में यह सिफारिश की गई है। रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर में इंफ्लूंजा वायरस ए, डेंगू और मंकीपॉक्स जैसे करीब 30 वायरसों के फैलने का खतरा है, जिनसे निपटने के लिए पहले से इंतजाम रखे जाने जरूरती हैं। इसलिए भारत को ऐसी सिस्टम विकसित करना होगा, जो त्वरित रूप से कार्रवाई करने में सक्षम हो। ऐसा सिस्टम जो पूरी गतिविधि पर बारीकी से नजर रखें, जिसके लिए अलग से रिस्पांस नियामक बनाने की सिफारिश की गई है।
नीति आयोग ने भविष्य में महामारी तैयारी और आपातकालीन रिस्पांस – कार्रवाई के लिए रुपरेखा शीर्षक से रिपोर्ट प्रकाशित की। यह रिपोर्ट बताते है कि भविष्य में महामारी का खतरा बना हुआ है और हो सकता है कि इस बार बीमारी कोरोना से कहीं ज्यादा तेजी से फैले। रिपोर्ट महामारी से पिटने के लिए पहले 100 दिन की कार्य योजना की रुपरेखा को बताती है लेकिन उसके साथ ही महामारी से निपटने के लिए कई स्तर पर बदलाव करने का भी सुझाव देती है। सबसे अहम सुझाव यही कि त्वरित रिस्पांस नियामक बनाया जाए, जो महामारी के समय पर उसकी रोकथाम और बचाव के लिए एक नियंत्रक इकाई की तरह काम करे। इसके साथ ही, राष्ट्रीय स्तर पर बायोसिक्योरिटी और बायोसेफ्टी नेटवर्क बनाए जाने की जरूरत है। इस रिपोर्ट को उन 60 से अधिक विशेषज्ञों व हितधारकों ने तैयार किया है, जिन्होंने कोरोना संक्रमण के दौरान विभिन्न स्तरों पर अहम भूमिका निभाई थी।
वैज्ञानिक जता रहे हैं भविष्य की चिंता
इस रिपोर्ट में विश्वस्वास्थ्य संगठन से जुड़े शोध पत्रों और चेतावनियों का भी उल्लेख किया गया है, जिससे पता चलता है कि दुनिया भर के 53 देशों के 200 से अधिक वैज्ञानिक 30 वायरस परिवारों का अध्ययन कर रहे हैं। इन वैज्ञानिकों को आशंका है कि भविष्य में वायरस से जुड़े खतरे बढ़ेंगे। ऐसे में आवश्यकता है कि भारत अपने स्तर पर महामारी की स्थिति से निपटने के लिए पहले से पुख्ता इंतजाम रखे। इसलिए सबसे जरूरी है कि ऐसा सक्रिय ग्रुप बनाया जाए जो नियमित तौर पर ऐसी परिस्थिति पर नजर रखे। इसके लिए कुछ नीतिगत फैसले लिए जाने की भी जरूरत है, जिससे कि महामारी से निपटने और निगरानी के लिए बेहतर तंत्र विकसित किया जा सके।
अन्य प्रमुख सिफारिशें
– हाई रिस्क इंनोवेशन रिसर्च एंड डेवलपमेंट फंड बनाया जाए, जिससे महामारी को लेकर नियमित तौर पर अध्ययन किया जा सके।
– मौजूदा महामारी अधिनियम का दायरा सीमित है जो महामारी प्रबंधन के आधुनिक दृष्टिकोण के अनुकूल नहीं है।
– महामारी से निपटने के लिए एक विशिष्ट सार्वजनिक अधिनियम की आवश्यकता है।
– चिकित्सीय और औषधि विकास के लिए एक मिशन को शुरू किए जाने की जरूरत है।
– सभी स्तरों पर एक सुस्थापित क्षमता निर्माण के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम को शुरू किया जाए।
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