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दिल्ली कोचिंग हादसा से जुड़े बेसमेंट के चार मालिकों को अदालत से जमानत मिल गई है। इसी के साथ दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि वो गहीर नींद से जाग जाए।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि अब समय आ गया है कि प्रशासन गहरी नींद से जागे और शहर में चलने वाली कोचिंग सेंटर की स्थिति को लेकर जरूरी कदम उठाए। यह बात कोर्ट ने उस वक्त कही जब दिल्ली कोचिंग हादसे से जुड़े चार सह मालिकों को बेल दी जा रही थी। चारों मालिकों को 30 नवंबर तक के लिए बेल मिली है। ये चारो लोग दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर इलाके के उसी कोचिंग सेंटर के बेसमेंट के सह मालिक हैं जहां सिविल सर्विस की तैयारी करने वाले तीन छात्रों की डूबने से मौत हो गई थी।
कोचिंग सेंटर मासूमों की जान को लेकर लापरवाह
न्यायाधीश ने कहा कि राजधानी दिल्ली में देश भर से बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं। यह दुखद है कि कोचिंग सेंटर के मालिक इन मासूम लोगों की जान को लेकर लापरवाह रहते हैं। न्यायाधीश दिनेश कुमार शर्मा ने गर्वनर से एक कमेटी गठित करने के लिए कहा है। इसे हाईकोर्ट के रिटार्यड जज के निर्देशन में होना चाहिए। यह कमेटी दिल्ली के सभी कोचिंग सेंटर की जांच-पड़ताल करे और उन्हें खतरे वाली इमारतों में कोचिंग ना चलाने के लिए सुझाव दे। इस कमेटी में डीडीए के अधिकारी और अन्य जरूरी लोग भी शामिल हों। इस प्रस्तावित समिति से तीन महीने के अंदर रिपोर्ट मांगी गई है।
माता-पिता की उम्मीदें तोड़ते जर्जर कोचिंग संस्थान
अदालत ने कहा कि वर्तमान घटना में तीन होनहार छात्रों की मौत होना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यह एक खतरे की घंटी है। अदालत ने इससे पहले भी इस तरह की खराब ढांचों वाली कोचिंग सेंटर का मुद्दा उठाया था,लेकिन दुर्भाग्य से इस पर कोई एक्शन नहीं लिया गया था। माता-पिता बच्चों को मेहनत की कमाई से पैसे निकालकर पढ़ने के लिए भेजते हैं। वो बच्चों के अच्छे भविष्य को लेकर आस लगाते हैं, लेकिन कुछ और ही हो जाता है।
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