[ad_1]
‘अच्छी बारिश देखकर 5 बीघा में ज्वार के साथ-साथ फूल गोभी और गुलाब के फूलों की क्यारी तैयार की थी। सब बर्बाद हो गया है। आधी से ज्यादा फसल पानी में बह गई। कर्ज लेकर दोबारा खेत तैयार किए फिर भी फसल नहीं बच पाई। हालत ये है कि पाई-पाई के मोहताज हो गए हैं।
.
ये दर्द है अजमेर जिले के मांगलियावास इलाके की महिला किसान सन्नो का। पिछले डेढ़ महीने से लगातार हो रही बारिश ने सन्नो की तरह प्रदेश भर के हजारों किसानों की फसलें बर्बाद कर दी हैं। खेत तालाब बन गए हैं।
किसानों ने जून महीने में मूंग, मूंगफली, ग्वार, बाजरा और ज्वार समेत खरीफ की कई फसलों की बुआई की थी। सितंबर के बाद कटाई कर मंडी में बेचने की तैयारी थी, लेकिन फसलें और सारे अरमान मिट्टी में मिल गए।
दैनिक भास्कर टीम ने राजस्थान के अलग-अलग जिलों में खेतों में जाकर फसलों को हुए नुकसान का जायजा लिया।
30 बीघा खेत में मूंग और ज्वार की पकी फसल बही, रो रहा किसान
नागौर जिले के भैंसड़ा कलां गांव में हम पहुंचे तो वहां कुछ किसान खेतों में खड़े थे। किसान मदन नाथ पानी से लबालब अपने खेत के बीच में बैठे थे। रुंआसा होकर बोले- 30 बीघा खेत में मूंग और ज्वार की खेती बोई थी। अब हम क्या करें। पैसा उधार लेकर तो फसल बोई थी।
सितंबर के बाद कटाई की तैयारी थी। जिससे उधार लिए थे, उसे अक्टूबर में चुकाने का वादा कर रखा है। अब वो आकर रुपए मांगेगा तो कहां से चुकाएंगे। इतना कहते ही मदन नाथ की आंखों से आंसू बहने लगे। मदन नाथ ने कहा कि अब सरकार ही हमारी कोई मदद कर सकती है। आस-पास मौजूद साथी किसानों ने ढांढस बंधाया।
किसान मदन नाथ ने उधार लेकर 30 बीघा में बुआई की थी। अब उन्हें केवल सरकार से उम्मीद है।
120 बीघा में फसल तबाह, खेत बना पानी से भरा बांध
नागौर जिले के मंडावरा गांव के किसान मिसराम जाट ने बताया कि उन्होंने अपने 120 बीघा खेत में मूंग, ज्वार और बाजरे की खेती की थी। जून महीने में उन्होंने बुआई कर दी थी। अगस्त आते-आते फसल बढ़िया लहलहाने लगी थी। लग रहा था इस बार तो बढ़िया पैदावार होगी। लेकिन जुलाई से स्टार्ट हुई बारिश ने सब कुछ खत्म कर दिया है। एक दिन भी बारिश नहीं रुकी और 120 बीघा का खेत समंदर बन गया।
मिसराम बताते हैं 4 बार मोटर और पम्प लगा कर पानी बाहर निकाल लिया, लेकिन ये खाली होने का नाम ही नहीं ले रहा है। ज्यादा बारिश ने इस बार की फसलें तो खराब कर ही दी हैं, अगली बार की खेती भी नहीं हो पाएगी। क्योंकि खेत अगले एक-दो महीने पानी से भरा रहेगा। खरीफ की पैदावार से ही किसान दीपावली जैसे त्योहार मनाता है। साल भर का खर्च निकालता है। लेकिन अब सब मुश्किल है। मुझे तो इस साल एक बच्ची की शादी भी करनी है।
किसान मिसराम जाट ने 120 बीघा खेत में मूंग, ज्वार और बाजरा बोया था। बारिश के बाद भरे पानी में सारी फसलें डूब गईं।
60 बीघा में मूंग की फसल थी, अब खरपतवार बची है
मंडावरा गांव के ही किसान सत्यदेव ने बताया कि उन्होंने अपने 60 बीघा खेत में मूंग की फसल बोई थी, अब मूंग तो पानी में गल चुकी है। खेतों में खरपतवार तैर रही है। जुलाई से बारिश स्टार्ट हुई थी। मूंग पर फूल आने लग गए थे। लेकिन अगस्त लगते ही बारिश ने अपना रंग दिखा दिया। मेरे खेत ही नहीं इस पूरे गांव में हर किसान का खेत पानी से लबालब भरा है। खेतों में जाने के रास्ते भी बंद हैं।
सत्यदेव ने बताया कि मैं खुद 4 बार इंजिन लगा कर पानी बाहर निकलवा चुका हूं, पर लगभग रोज हो रही तेज बारिश इस खेत से पानी खाली ही नहीं होने दे रही है। 5 लाख रुपए से ज्यादा खर्च हो गए हैं। अगर पाव भर मूंग भी किसी खेत में मिल गई तो ये बहुत बड़ी बात होगी।
खेत में तो अब चारा भी नहीं बचा है। इस बार तो जानवरों के लिए चारा मिलना भी मुश्किल ही है। इस फसल के लिए जो रुपए खर्च करने थे, वो तो कर दिए। मेहनत भी बेकार गई। अब अगर सरकार ने हम किसानों को यहां कोई सहायता नहीं दी तो गांव के कई किसानों को तो पेट पालने के लिए पलायन तक करना पडेगा।
किसान सत्यदेव ने 60 बीघा खेत में मूंग की फसल बोई थी। बारिश से मेहनत और 5 लाख रुपए बर्बाद हो गए।
जीवन में पहली बार खेत की बाड़ और माठ से चारा बटोर रहे
बड़ायली गांव के किसान सदीक ने बताया कि 20-22 बीघा जमीन में मूंग की खेती की थी। अब तो खेतों में सिर्फ पानी बचा है। जानवरों के लिए खेत में चारा भी नहीं है। जीवन में पहली बार खेतों की बाड़ और माठ से चारा चुग-चुग के जानवरों को खिला रहा हूं। उन्हें भी रखना मुश्किल हो गया है।
इसके बाद सदीक हमें अपने खेत के अंदर ले गए। इस खेत में पानी का तालाब बना हुआ था। सदीक ने पानी के अन्दर जाकर हमें दिखाया कि उनकी मूंग की फसल कैसे बर्बाद हुई। पड़ौसी किसान भीखाराम के हाल भी कुछ ऐसे हैं। उन्होंने बताया कि 15 बीघा खेत में मूंग बोये थे। पूरे खेतों में तो पानी भरा है। चारा भी बाड़ के ऊपर से काट कर ला रहे हैं।
सदीक ने 20-22 बीघा में मूंग की बुआई की थी। बारिश में सबकुछ बर्बाद हो गया।
15 बीघा खेत में पानी ही पानी, बाहर भी नहीं निकाल सकते; पेट गुजारा भी मुश्किल
भैंसड़ा गांव के रहने वाले किसान सोहन सिंह ने बताया कि 5 लाख रुपए से ज्यादा इस खेती पर खर्च कर दिया था लेकिन अब तो इस 15 बीघा खेत में पानी ही पानी है। आप भी देख लो जल ही जल पड़ा है। कार्तिक महीने तक ही ये पानी नहीं सूखेगा। तब तक खेती हो ही नहीं पाएगी।
साहूकार से जो कर्ज लिया है और बैंक की किस्त भी है। उन्हें कैसे चुकाएंगे।भैंसड़ा कलां गांव के ही रहने वाले श्रवण नाथ डेढ़ लाख रुपए लगाकर 30 बीघा के खेत में मूंग बोया था। अब तो घर परिवार चलाने के लिए मजदूरी करनी पड़ेगी। त्योहार भी नहीं मना पाएंगे।
किसान सोहन सिंह को चिंता सता रही है कि साहूकार से जो कर्ज लिया था, वो कैसे चुकाएंगे।
गोभी, ज्वार, बाजरा और मक्का बोया था, कुछ नहीं बचा
अजमेर जिले के जेठाना गांव के किसान देवराज गुर्जर ने बताया कि इस बार खेत में उन्होंने गोभी की बागवानी की थी। इसके साथ ज्वार, बाजरा और मक्का बोया था। बारिश और इसके बाद इलाके में ओवरफ्लो हुए तालाब ने खेत में कहर ला दिया। महीनों से पानी खेत में जमा रहने से फसलें तो पहले ही गल गई हैं। लाखों रुपए बर्बाद हो गए हैं।
मूंग, ग्वार, कपास और कुछ इलाकों में बाजरे में 20 से 30% तक होगा नुकसान
अभिनव राजस्थान के प्रदेशाध्यक्ष डॉक्टर अशोक चौधरी ने बताया कि इस साल राजस्थान में औसत से ज्यादा बारिश हुई है और यह एक अच्छा संकेत है, क्योंकि कई साल से तालाबों में पूरा पानी नहीं भर रहा था, ट्यूबवेल का जल स्तर भी काफी नीचे चला गया था। ऐसे में ओवर ऑल तो यह एक अच्छा संकेत है, लेकिन इसका नुकसान भी है।
हेवी रेन फॉल से 20 से 30 फीसदी तक फसलों का नुकसान हुआ है। उन क्षेत्रों में, नुकसान ज्यादा है जहां मिट्टी काली और चिकनी है। वहां पर खेतों में पानी जमा हो गया है, इसलिए मूंग, ग्वार, कपास और कुछ इलाकों में बाजरा को भी नुकसान हुआ है।
[ad_2]
Source link