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नई दिल्ली23 मिनट पहले
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केजरीवाल ने इस्तीफा देने के लिए 17 सितंबर का दिन चुना है, इस दिन प्रधानमंत्री मोदी का 74वां जन्मदिन है।
केजरीवाल ने 15 सितंबर को घोषणा की है कि वे दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे और तब तक CM की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे, जब तक जनता उन्हें ईमानदारी का सर्टिफिकेट नहीं दे देती।
सोमवार को आप नेता सौरभ भारद्वाज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा अभी CM के नाम पर चर्चा नहीं हुई है। इस पर फैसला केजरीवाल के इस्तीफे के बाद विधायक दल लेगा।
मनीष सिसोदिया आज केजरीवाल से मिलेंगे। दोनों दिल्ली के अगले CM के नाम पर चर्चा कर सकते हैं। बैठक मुख्यमंत्री आवास पर होगी। साथ ही आज पार्टी की PAC (राजनीतिक मामलों की कमेटी) की बैठक भी होगी।
केजरीवाल दिल्ली शराब नीति घोटाले से जुड़े केस में 13 सितंबर को जमानत पर जेल से बाहर आए हैं। पार्टी ऑफिस में केजरीवाल ने कहा था उनकी पार्टी का कोई सहयोगी ही CM बनेगा।
केजरीवाल के इस्तीफे की घोषणा के बाद उनकी पत्नी सुनीता, दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी और गोपाल राय के नामों पर चर्चा तेज हो गई है।
केजरीवाल ने दिल्ली के AAP ऑफिस में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते समय इस्तीफे का ऐलान किया। इस दौरान उन्होंने ‘भगत सिंह की जेल डायरी’ किताब भी दिखाई।
केजरीवाल के इस्तीफे के बाद आगे क्या…
- मुख्यमंत्री कौन होगा: केजरीवाल ने कहा कि जनता को तय करना है कि केजरीवाल ईमानदार है या बेईमान। चुनाव के बाद जनता ने चुना तो पद पर बैठूंगा। चुनाव होने तक पार्टी दो-तीन दिन में नया मुख्यमंत्री चुनेगी। सूत्रों के मुताबिक, आतिशी, कैलाश गहलोत, गोपाल राय, सौरभ भारद्वाज और सुनीता केजरीवाल में से कोई एक मुख्यमंत्री बन सकता है।
- केजरीवाल क्या करेंगे: 5 अक्टूबर को हरियाणा में वोटिंग है। राज्य में कांग्रेस से AAP का गठबंधन नहीं हुआ है। इसके बाद यहां सभी 90 सीटों पर पार्टी ने प्रत्याशी उतारे हैं। केजरीवाल का पूरा फोकस अब हरियाणा में चुनाव प्रचार पर होगा। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में भी केजरीवाल प्रचार कर सकते हैं।
177 दिन बाद रिहाई, केजरीवाल ने जेल में 156 दिन बिताए
शराब नीति केस में मनी लॉन्ड्रिंग मामले को लेकर केजरीवाल को 21 मार्च को ED ने गिरफ्तार किया था। 10 दिन की पूछताछ के बाद उन्हें 1 अप्रैल को तिहाड़ जेल भेजा गया। 10 मई को 21 दिन के लिए लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए रिहा किया गया। ये रिहाई 51 दिन जेल में रहने के बाद मिली थी। 2 जून को केजरीवाल ने तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया था।
शराब नीति मामले में भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में CBI ने उन्हें 26 जून को गिरफ्तार किया। 13 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी। इस तरह से वे 156 दिन तिहाड़ जेल में बिता चुके हैं, लेकिन उन्हें रिहाई 177 दिन बाद मिली है।
केजरीवाल के इस्तीफे के मायने, 3 बातें…
- CM, लेकिन पावर नहीं: दिल्ली शराब नीति केस में अरविंद केजरीवाल 177 दिन बाद जेल से जमानत पर बाहर आए। सुप्रीम कोर्ट ने शर्त रखी कि वो CM ऑफिस नहीं जाएंगे और न ही किसी फाइल पर साइन करेंगे। यानी जेल से बाहर आने और मुख्यमंत्री रहते हुए भी उनके पास पावर नहीं रहा। सरकार कैबिनेट भरोसे चलेगी।
- 5 महीने का कार्यकाल बचा: दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल फरवरी 2025 में खत्म हो रहा है। यानी सरकार के पास चुनाव में सिर्फ 5 महीने ही बचे हैं। इस दौरान सरकारें लोक-लुभावन चुनावी फैसले लेती हैं। केजरीवाल कोर्ट की शर्तों में बंधे हैं। जेल से छूटने के बाद केजरीवाल के साथ सहानुभूति है। दो-तीन महीने पहले दिल्ली में चुनाव की मांग कर केजरीवाल इसे भुनाना चाहेंगे।
- भाजपा ने इस्तीफा मांगा था, उसका भी जवाब दे सकेंगे: दिल्ली शराब नीति केस में नाम आने और गिरफ्तारी के बाद से ही भाजपा के नेता अरविंद केजरीवाल से मुख्यमंत्री पद छोड़ने की मांग कर रहे हैं। केजरीवाल ने अब इस्तीफे का ऐलान कर दिया है। अब वे भाजपा नेताओं के हर हमले का जवाब दे सकेंगे कि मैंने तो इस्तीफा दे दिया।
दिल्ली में 2013 से केजरीवाल की सरकार, लगातार 3 बार CM बने
- दिल्ली में फरवरी 2025 में केजरीवाल सरकार का कार्यकाल खत्म होने वाला है। केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी 2013 से दिल्ली की सत्ता में हैं।
- दिल्ली में 4 दिसंबर, 2013 को कुल 70 सीटों पर विधानसभा चुनाव हुए थे। 8 दिसंबर 2013 को नतीजे आए। इसमें भाजपा 32 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। हालांकि, बहुमत नहीं मिला।
- AAP को 28 और कांग्रेस को 8 सीटें मिलीं। कांग्रेस के समर्थन से अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री बनते हुए सरकार बनाई। हालांकि, 49 दिन बाद दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया।
- 7 फरवरी, 2015 को दिल्ली में फिर से विधानसभा चुनाव हुए। इसमें AAP ने 67 सीटों पर जीत हासिल की। भाजपा सिर्फ तीन सीटों पर सिमट गई थी।
- पांच साल बाद 8 फरवरी, 2020 के विधानसभा चुनाव में AAP ने कुल 70 सीटों में 62 सीटों पर जीत हासिल की है। 8 सीटें भाजपा के खाते में गईं।
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