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दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने स्वास्थ्य सचिव को निर्देश दिया कि मानसिक रूप से कमजोर लोगों के लिए स्थापित आशा किरण आश्रय गृह में डॉक्टरों के रिक्त पदों को तत्काल भरा जाए। उन्होंने यह निर्देश एक रिपोर्ट में टीबी और गैस्ट्रोएंटेराइटिस के मामलों में वृद्धि की बात सामने आने के बाद दिए। राजनिवास के अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
आशा किरण शेल्टर होम में जुलाई महीने में 14 मौतें हुई थीं। जिसके बाद L-G सक्सेना द्वारा एक रिपोर्ट मांगी गई थी, जिसके आधार पर शनिवार को ये महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए गए हैं। इस मामले में आम आदमी पार्टी का कहना है कि एलजी के निर्देश के बाद शेल्टर होम में डॉक्टरों की कमी और प्रशासक की लापरवाही पर हमारे रुख की पुष्टि हुई है। उन्होंने दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
राज निवास के अधिकारियों के अनुसार, सक्सेना को सौंपी गई रिपोर्ट में शेल्टर होम में भीड़भाड़, डॉक्टरों की अनुपस्थिति, संक्रामक रोगों का प्रचलन, खराब वेंटिलेशन और सफाई, मेडिकल रिकॉर्ड का अभाव और पेयजल सुविधाओं की कमी जैसे मुद्दों को उठाया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि एलजी ने 19 जुलाई को मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट पर कड़ा रुख अपनाया है, जिसमें कुपोषण और लापरवाही के कारण एक्यूट गेस्ट्रोएंट्राइटिस और टीबी के मामलों में वृद्धि को लेकर अधीक्षक और वेलफेयर अधिकारियों द्वारा निगरानी में कमी को जिम्मेदार ठहराया गया है।
इसके साथ ही सीएमओ ने खराब स्वच्छता और सफाई की बेकार स्थिति के मामले को भी प्रमुखता से उठाया और बताया कि कई चेतावनियों के बावजूद प्रशासक ने कार्रवाई नहीं की। जिसके बाद एलजी ने मुख्य सचिव को शेल्टर होम के प्रशासक को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने और यहां हुई मौत की जांच में बाधा डालने के लिए ड्यूटी मेडिकल अधिकारी को हटाने का निर्देश दिया है।
जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 6 जुलाई को सीएमओ को भेजे गए एक पत्र में अधीक्षक ने बताया था कि टीबी के मामलों में वृद्धि हुई है और बच्चों की इस बीमारी से मौत भी हुई है। ऐसी मौतों के लिए मुख्य कारण देर से जांच और उपचार का अभाव था। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट द्वारा जारी संस्थानों और सेवाओं के पदाधिकारियों के लिए मैनुअल का पालन नहीं किया जा रहा है, खासकर चिकित्सा अधिकारियों के दौरे, नर्सिंग स्टाफ द्वारा दवा देने और मरीजों के साथ बाहरी स्वास्थ्य सुविधाओं में जाने वाले चिकित्सा कर्मचारियों से संबंधित मामलों में।
इस बारे में एलजी ने कहा, ‘यह समझ से परे है कि संक्रामक बीमारी के फैलने की स्थिति में, इसके प्रसार को रोकने के लिए एकसाथ रहने वालों को अलग क्यों नहीं किया गया। यह भी सामने आया है कि वहां अत्यधिक भीड़भाड़ है और रहने वालों की संख्या सुविधा की क्षमता से कहीं अधिक है, जिसके परिणामस्वरूप साथ रहने के लिए अमानवीय स्थिति है।’
एलजी ने सुविधा में बुनियादी ढांचे के उन्नयन और अतिरिक्त उपकरणों की खरीद पर तत्काल कार्रवाई की भी मांग की है, जबकि समाज कल्याण विभाग, जो आशा किरण गृह चलाता है, को वहां रहने वाले सभी का डिजिटल रिकॉर्ड बनाए रखने, उनके उपचार के इतिहास, स्वास्थ्य मापदंडों और पोषण संबंधी जानकारी को ट्रैक करने के लिए कहा गया है। सक्सेना ने मुख्य सचिव से निवारण, सुधार और निगरानी के लिए कहा है क्योंकि समाज कल्याण विभाग में कोई मंत्री नहीं है।
अधिकारियों ने बताया कि उप राज्यपाल ने आशा किरण आश्रय गृह के रहवासियों की मौत के बाद ऐसी सभी सुविधाओं के जीर्णोद्धार और नवीनीकरण पर श्वेत पत्र तलब किया है। उन्होंने मुख्य सचिव को इसकी प्रगति की समीक्षा करने का निर्देश दिया है और आश्रय गृह में बुनियादी ढांचे का उन्नयन युद्ध स्तर पर करने के निर्देश जारी किए हैं।
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