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दिल्ली के नालों की सफाई में चार साल में 80 करोड़ रुपए की हेराफेरी की हुई है। एसीबी ने बताया कि पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने विभिन्न कार्यों में बिलों को बढ़ाने के लिए नालों की वास्तविक लंबाई में हेरफेर किया था, जिससे ठेकेदार को फायदा हुआ।
एंटी क्रप्शन शाखा (एसीबी) ने पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के खिलाफ चार वर्षों में नालों की सफाई में करीब 80 करोड़ रुपये के घोटाले में रिपोर्ट दर्ज की। एसीबी के अधिकारी ने बताया कि 11 सितंबर को पीडब्ल्यूडी के डिवीजनों दक्षिण-पश्चिम रोड-1 और दक्षिण-पश्चिम रोड-2 के तहत वर्ष 2021-22 से 2024-25 के दौरान किए गए गाद निकालने के काम में भ्रष्टाचार के संबंध में जीएनसीटी, दिल्ली के सतर्कता निदेशालय को एक शिकायत मिली थी।
इसमें आरोप लगाया गया कि कथित पीडब्ल्यूडी अधिकारियों ने विभिन्न कार्यों में बिलों को बढ़ाने के लिए नालों की वास्तविक लंबाई में हेरफेर किया था, जिससे ठेकेदार को फायदा हुआ। फर्जी प्रमाण-पत्रों के माध्यम से ठेकेदार को गैर-मौजूद कार्यों के लिए धोखाधड़ी से रुपये दिए गए थे। पीडब्ल्यूडी की ओर से जारी दो अलग-अलग निविदाओं में एक ही क्षेत्र की गाद निकालने को शामिल करके कार्यों को ओवरलैप किया गया, जिसके कारण एक ही काम के लिए ठेकेदार को दो बार रुपये दिये गए।
एसीबी ने बताया कि यहीं नहीं बल्कि बोलियों में हेरफेर करके अधिकारियों ने एक ही ठेकेदार को बढ़ी दरों पर कई टेंडर दिए थे, जिन्होंने गाद निकालने के कार्यों से संबंधित बिलों को सुपर सकर मशीनों का उपयोग दिखाकर बढ़ा दिया, जबकि वास्तव में सफाई मैन्युअल रूप से की गई थी। इसी तरह से पीडब्ल्यूडी अधिकारियों द्वारा सात अलग-अलग एनआईटी अवैध रूप से जारी करके मनमानी की गई थी। इन एनआईटी में वास्तविक निविदा लागत को अतिरिक्त वस्तुओं और विचलनों को शामिल करके अत्यधिक बढ़ा दिया गया था।
पिछले चार वर्षों में 78.40 करोड़ रुपये के फर्जी भुगतान एक ही ठेकेदार को किए गए हैं। एसीबी, जीएनसीटीडी ने इस मामले में पीओसी अधिनियम की धारा 7ए के तहत 316(5)/318(4)/338/340(2)/61(2) भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा में मामला दर्ज किया है। टीमें अब पीडब्ल्यूडी अधिकारियों, ठेकेदारों आदि से पूछताछ कर रही है। इसके बाद आरोपियों की गिरफ्तारी की जाएगी।
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