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उदगुवा गांव में एक मकान गिर गया। वहीं, बेरछ गांव में 10 लोगों का रेस्क्यू किया गया।
’11 सितंबर को सिंध नदी में बाढ़ आने का पता चला तो दिल बैठ गया। दो साल पहले बाढ़ ने ऐसा मिटाया कि अब तक उठ नहीं पाए। जैसे-तैसे जीवन को पटरी पर ला रहे हैं, लेकिन बाढ़ से ऐसा लगा फिर से सब कुछ मिटने वाला है। भगवान की कृपा से नदी उफनी, लेकिन इस बार गांव को
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इतना कहते-कहते दतिया जिले के कोटवा गांव के महेश बघेल के शब्द लड़खड़ाने लगते हैं। दतिया जिले में तेज बारिश के बाद सिंध नदी ने रौद्र रूप धारण कर लिया था। लोगों को एक बार फिर से अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा। इनमें महेश बघेल भी शामिल हैं, जिन्होंने अगस्त 2021 में बाढ़ से हुई तबाही का मंजर देखा था।
11 सितंबर से शुरू हुई बारिश 36 घंटे तक लगातार होती रही। इससे हिनौतिया, पाली, कोटरा, बडौनकलां, रावरी, इंदरगढ़ तहसील के तीन गांव और सेंवड़ा शहर के साथ ही चार गांव सिंध नदी के रौद्र रूप की जद में आ गए थे। ग्रामीणों को अपना घर छोड़कर 24 घंटे सुरक्षित जगहों पर बिताने पड़े।
इन गांवों में दैनिक भास्कर की टीम पहुंची तो सभी ने एक ही बात कही- बाढ़ का सुनकर हमारा तो दिल बैठ गया था…
नदी का पानी गांव की ओर बढ़ता देख डर गई
2021 में बाढ़ में मकान के साथ ही सब कुछ गंवाने वाली भावना और उसकी बहन मुस्कान कहती हैं- ‘दो दिन पहले बुधवार को लोग चिल्ला रहे थे, नदी आई-नदी आई की आवाज सुनकर नींद खुली। हम सभी घबरा गए, तत्काल जरूरत के कपड़े समेटना शुरू किया। तेज बारिश हो रही थी। छतरी लेकर नदी की ओर दौड़े। नदी उफान पर थी और पानी का शोर सुनाई दे रहा था। नदी का पानी गांव की ओर बढ़ रहा था।’
‘नदी के पास पहुंचे तो देखा गांव से बाहर निकलने वाला रास्ता पानी के कारण बंद हो चुका है। हम फिर से एक बार फंस चुके थे। कुछ देर बाद रेस्क्यू टीम नाव से आती दिखी। गांव वाले एक बार फिर से सब कुछ छोड़कर जाने को मजबूर थे।’
दोनों बहनों ने बताया कि, ‘2021 में बाढ़ ने हमारा सब कुछ छीन लिया था। पूरा गांव डूब गया था। हम मिट्टी के टीले पर खड़े होकर मदद का इंतजार कर रहे थे। उस दिन पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा हेलीकॉप्टर से आए और हमें सुरक्षित बाहर निकाला। जब हमें रेस्क्यू किया जा रहा था, तब आंखों के सामने हमारा घर पानी में समा गया। जब पानी उतरा और हम लौटे तो घर की जगह मिट्टी का ढेर मिला।’
दिल बैठ सा गया था, कुछ नहीं बचा था
महेश बघेल ने बताया कि, ‘दो साल पहले कोटरा गांव में बाढ़ से जो तबाही हुई थी, वह मंजर मैंने इसके पहले कभी नहीं देखा था। बाढ़ के रूप में तब मौत आई थी। गांव वाले नदी का रौद्र रूप देखकर सामान और मवेशियों को लेकर भागे और ऊंचाई पर जाकर गांव को डूबते देखते रहे। 24 घंटे बाद जब नदी उतरी तो देखा, सब कुछ खत्म हो चुका था। घर गिर चुके थे।’
‘सामान बह चुका था। कुछ नहीं बचा था। यह तक पता नहीं चल पा रहा था कि हमारे घर की दीवार कहां थी। भूखे-प्यासे घरों के मलबे को ताकते रहे। प्रशासन ने मदद की, दो जून की रोटी दी। महीनों ऐसे ही निकल गए। बाहरी लोगों ने मदद करते हुए कपड़े समेत दूसरे सामान दिए।’
सीता सागर के पानी से वेयर हाउस की दीवार गिरी
11 सितंबर को बड़ौनी के राम सागर में दरार आई। जल संसाधन विभाग ने इसे ठीक करवाया था, लेकिन लगातार पानी आने से यह फूट गया। तालाब के पानी ने बड़ौनी से 7 किमी दूर सोनागिर तक दुकानों-मकानों को जद में ले लिया। करन सागर का पानी भी भांडेर रोड पर मकानों और दुकानों में घुस गया। रात में ही तालाब किनारे रहने वालों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया।
सीता सागर तालाब के पानी से वेयर हाउस की दीवार ढह गई। इसके किनारे बसी बुंदेला कॉलोनी, हीरानगर कॉलोनी, बापा साहब का बाग, खाती बाबा कॉलोनी, पठाई मोहल्ला, गंजी सरकार हनुमान मंदिर के पीछे, हमीर सिंह नगर कॉलोनी, करन सागर के नीचे भांडेर रोड, परदेशीपुरा, भदौरिया की खिड़की के नीचे, पवैया का बाग, लक्ष्मण ताल किनारे बसी आबादी, लाला के ताल के नीचे मत्स्य विभाग, हरदौल मोहल्ला, ठंडी सड़क, पावर हाऊस, उद्यानिकी विभाग की नर्सरी, कंचन कॉलोनी, तरनताल के किनारे वाला क्षेत्र पानी-पानी हो गया।
रामसागर तालाब से आ रहे पानी के कारण सिनावल थाने के पीछे खेत और थाना परिसर पानी में डूब गए।
तरन तालाब की वॉल टूटी
तरन तालाब की वॉल शुक्रवार शाम अचानक फट गई। इससे तालाब का पानी सीधे लाला के ताल में जाने लगा। जिस कारण लाला का ताल का पानी ओवरफ्लो होकर निकली बस्ती में जाने लगा। प्रशासन मौके पर पहुंचा और आसपास की निचली बस्तियों के घरों को खाली कराया। नगर पालिका का अमला पानी रोकने में जुटा। तालाब का पानी पावर हाउस में जाने लगा। पावर हाउस में पानी भरने के कारण इलाके की बिजली सप्लाई बंद करनी पड़ी। मौके पर पुलिस बल तैनात किया गया है।
तरन तालाब की वॉल टूटने पर प्रशासन मौके पर पहुंचा और आसपास की निचली बस्तियों को खाली करवाया।
पहूज नदी भी उफानी, रपटा पिछले 5 दिनों से बंद
पहूज नदी के उफान पर आने से भांडेर और मोठ मार्ग पर बना रपटा पिछले 5 दिनों से बंद है। जलस्तर बढ़ा तो गुरुवार को बेरछ गांव के डेरा पर रहने वाले केवट परिवार के 18 लोग फंस गए। जिन्हें रेस्क्यू कर सुरक्षित निकाला गया। इन्होंने गांव के ही स्कूल में आसरा ले रखा है। भांडेर के ठाकरास मोहल्ले के 12 से ज्यादा घरों में पानी भरने से गृहस्थी का सामान खराब हो गया।
इंदरगढ़ क्षेत्र के हालात भी खराब हैं। यहां पानी ने बुजुर्ग रामदास जाटव की जान ले ली, जबकि 40 घंटे से बिजली गुल रही। वजह, ग्वालियर रोड पर स्थित शहर के सब स्टेशन में 4 फीट पानी का भरा होना। बिजली कंपनी ने शुक्रवार को जेसीबी की मदद से पानी की निकासी कर बिजली सप्लाई शुरू की। यहीं पर 12 से ज्यादा झोपड़ियां ढह गईं। पीड़ित लोगों को मणिपुरा और तलैयापुरा में स्थित सरकारी स्कूल में रखा गया है।
बेरछ गांव में फंसे 10 लोगों का रेस्क्यू किया गया।
महुअर नदी ने भी ढाया कहर
जिले की सीमा से लगी महुअर नदी ने भी अपना रौद्र रूप धारण कर रखा है। शुक्रवार को 6 ग्रामीण मवेशियों को खोजने गए और नदी के दूसरे छोर में फंस गए। रेस्क्यू टीम ने इन्हें बाहर निकला। पानी में फंसे नकुल यादव, होशियार यादव, बल्ली सोलंकी, मोहित गोस्वामी ने कहा कि नदी का विकराल रूप डरा रहा था।
पहूज नदी का पानी भांडेर के ठकरास मोहल्ले में घुस गया।
5 साल बाद जिले में औसत बारिश हुई
जिले की औसत बारिश 758.9 मिमी है। राजस्व विभाग के अनुसार अब तक 755 मिमी बारिश दर्ज हुई है। 5 साल बाद जिले में औसत बारिश हुई है। अखिल भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान के तकनीकी अधिकारी भगवान दास कुशवाह के अनुसार बारिश ने 1990 का रिकाॅर्ड तोड़ा है।
कोटरा गांव के मुख्य मार्ग में कीचड़ ही कीचड़ है।
34 साल बाद ऐसी बारिश, 1990 के बाद सभी तालाब उफनाए
36 घंटे की बारिश ने दतिया शहर में बारिश का 34 साल पुराना रिकाॅर्ड तोड़ दिया। 1990 में 27 सितंबर को 216.9 मिमी बारिश रिकाॅर्ड हुई थी। 2024 में 24 घंटे में यानी 11 सितंबर बुधवार सुबह 8 बजे से 12 सितंबर गुरुवार सुबह 8 बजे तक 248 मिमी बारिश हुई। बारिश ने शहर के 190 से 230 साल पुराने तालाब को ओवर फ्लो कर दिया। आखिरी बार ये तालाब साल 1990 में ओवर फ्लो हुए थे।
भांडेर के बेरछ गांव में एक भैंस पानी में बही, जिसका रेस्क्यू किया गया।
जिले में औसत बारिश से 14 मिमी ज्यादा पानी गिरा
जिले में औसत बारिश 750 मिमी है। 10 सितंबर तक जिले में 560 मिमी बारिश हुई थी। लगातार 36 घंटे हुई बारिश के बाद दतिया शहर में अब तक 1015 मिमी पानी गिर चुका है, जो औसत से काफी ज्यादा है। हालांकि, जिले के भांडेर, इंदरगढ़ और सेवड़ा में अभी भी औसत से कम पानी गिरा है।
ये पुराने तालाब ओवर फ्लो हुए
करन सागर का निर्माण सबसे पहले 1794 में तत्कालीन शासक शुभकरण ने कराया था और उन्हीं के नाम पर तालाब का नाम करन सागर पड़ा। 1929 में लाला का ताल और 1834 में राम सागर का निर्माण कराया गया। इसके बाद सीता सागर, राधा सागर, लक्ष्मण ताल, असनईताल, तरन तालों का निर्माण हुआ। ये सभी तालाब बारिश की वजह से ओवर फ्लो हो गए हैं।
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