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जैसलमेर। भारत में बना जोरावर टैंक।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने शुक्रवार को भारतीय लाइट टैंक जोरावर के सफल ऑटो मोटिव परीक्षण किए। ये ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनाती में सक्षम अत्यधिक बहु उपयोगी प्लेटफॉर्म है। रेगिस्तानी इलाकों में किए गए फील्ड परीक्षणों के दौरान, लाइट ट
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प्रारंभिक चरण में, टैंक के फायरिंग प्रदर्शन का कड़ाई से मूल्यांकन किया गया और इसने दिए गए लक्ष्यों पर आवश्यक सटीकता हासिल की। जोरावर टैंक को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की इकाई, लड़ाकू वाहन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (सीवीआरडीई) द्वारा लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड (L&T) के सहयोग से सफलतापूर्वक विकसित किया गया है।
25 टन वजन का है जोरावर टैंक।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय लाइट टैंक के सफल परीक्षणों के लिए डीआरडीओ, भारतीय सेना और सभी एसोशिएट भागीदारों की सराहना की। उन्होंने इस उपलब्धि को महत्वपूर्ण रक्षा प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों में भारत के आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर करार दिया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर वी कामत ने भी इस परियोजना में शामिल पूरी टीम को बधाई दी है।
पहाड़ी इलाकों के लिए तैयार किया गया टैंक
लाइट वेट जोरावर टैंक को लद्दाख जैसे हाई एल्टिट्यूड वाले इलाकों में तैनात किया जाएगा। रूस और यूक्रेन युद्ध से सबक लेते हुए टैंक में लोइटरिंग म्यूनिशन यूएसवी जोड़ा गया है। माना जा जोरावर को चीन के कम वजन के टैंक ZTQ टाइप-15 के मुकाबले के लिए तैयार किया गया है। गलवान घाटी में भारतीय सेना से हुई झड़प के बाद चीन ने ZTQ टाइप-15 टैंक तैनात किए हैं। इंडियन आर्मी ने 200 टी-72 टैंकों को तैनात किया है। हालांकि, यह टैंक जोरावर के मुकाबले भारी हैं। ढाई साल की से कम समय में 25 टन वजनी लाइट टैंक डिजाइन किया गया है बल्कि उसका पहला प्रोटोटाइप भी बनाया और उसकी टेस्टिंग भी की गई है। जोरावर को सभी परीक्षणों के बाद साल 2027 तक भारतीय सेना में शामिल किए जाने की उम्मीद है।
टी-72, टी-90 टैंक पहाड़ी इलाकों में तैनात हैं, जिनकी जगह जोरावर लेगा।
25 टन का है जोरावर टैंक
जोरावर की अनोखी बात इसका वजन है जो 25 टन है। साथ ही जोरावर टैंक की बेसिक बातों को पूरा करता है। इसमें पावर है, तेजी है और सेफ्टी है। जोरावर में सभी पैरामीटर मिल रहे हैं। सेना को सौंपे जाने के बाद 25 टन वाले इन टैंक को इंडियन एयरफोर्स के C-17 ग्लोबमास्टर के जरिए तैनाती वाली जगहों पर ले जाया जाएगा। एक बार में 2 टैंक ले जाए जा सकेंगे। हल्का होने के कारण जोरावर पहाड़ी इलाकों में बहुत तेजी से चल सकती है। अभी टी-72, टी-90 टैंक पहाड़ी इलाकों में तैनात हैं, जिनकी जगह जोरावर लेगा।
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