[ad_1]
पार्टी ने 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा चुनाव में कुल 89 सीट पर उम्मीदवार घोषित किए हैं और उसने एक सीट गठबंधन के तहत मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) को दी है। हालांकि कांग्रेस ने पहले की घोषणा पर अमल करते हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में अपने किसी भी सांसद को चुनाव मैदान में नहीं उतारा लेकिन उसने कई नेता-पुत्रों पर दरियादिली दिखाते हुए उन्हें टिकट दिया है। उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया के दौरान ही कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया ने स्पष्ट कर दिया था कि किसी भी सांसद को विधानसभा चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी। जो कांग्रेस सांसद विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे उनमें कुमारी सैलजा का नाम सबसे आगे था। खुद सैलजा ने भी इच्छा जाहिर की है कि वह चुनाव लड़ना चाहती थीं लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया।
कांग्रेस महासचिव एवं सिरसा सीट से लोक सभा सदस्य कुमारी सैलजा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनकी विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा थी और यह बात उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले ही कहनी शुरू की थी। उन्होंने कहा कि इच्छा व्यक्त करना कोई गलत बात नहीं है, फैसला तो हाईकमान को करना है। टिकट वितरण में गुटबाजी के सवाल पर उन्होंने कहा कि हर कोई अपने कार्यकर्ताओं की पैरवी करता है और दावेदार अनेक होते हैं, लेकिन हाईकमान एक के नाम का चयन करता है। उन्होंने कहा कि लेकिन हाईकमान जिसे चुनता है, वह पार्टी का उम्मीदवार होता है, जिसे जिताने के लिये हर कार्यकर्ता कार्य करता है। यह पूछने पर कि हाईकमान क्या होता है, उन्होंने कहा, “ हाईकमान हाईकमान होता है, जैसे सोनिया गांधी, राहुल गांधी, अध्यक्ष मलिकार्जुन खरगे। ”
कुछ दिन पहले उनके इस्तीफे को लेकर चली खबरों को लेकर उन्होंने कहा कि जो कुछ भी दिखाया गया है, वह तीन साल पहले की बात है, जब उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट को अधिक टिकट मिलने पर मुख्यमंत्री कैसे चुना जाएगा, यह पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि वह पहले भी कई बार कह चुकी हैं कि मुख्यमंत्री का फैसला हाईकमान ही करता है। हरियाणा का इतिहास उठाकर देख लें कि नेता कैसे चुना जाता है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस में सब एक साथ मिलकर पार्टी के लिए काम करते हैं।
(इनपुट एजेंसी)
[ad_2]
Source link