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यहूदियों में भी शादी को एक पवित्र बंधन माना जाता है.इनकी रस्मों में दूसरे धर्मों की परंपराओं की झलक दिखती है.यहूदी धर्म में शादी मुस्लिमों की तरह एक अनुबंध होती है.
How Does Marriage In Judaism: दुनिया के अन्य धर्मों की तरह यहूदियों में भी शादी को एक पवित्र बंधन माना जाता है. यहूदी धर्म में शादी की रस्मों में काफी कुछ दूसरे धर्मों की परंपराओं की झलक देखने को मिलती है. कुछ रस्में तो इतनी जानी पहचानी लगेंगी कि आपको लगेगा कि अरे ये तो हमारे घर की शादियों जैसा ही है. हालांकि दुनिया के अन्य धर्मों की तरह यहूदियों में कुछ रस्मों और रीति रिवाज में अंतर भी देखने को मिलता है.
भारत की तरह इजरायल में यहूदी धर्म में शादी को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. शादी उनके लिए जीवनकाल की महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक होती है. यहूदी धर्म की संस्कृति में शादी की कई रस्में इसलिए दूसरे धर्मों से मिलती हैं, क्योंकि यहूदी धर्म ने 18वीं और 19वीं सदी तक दूसरे धर्मों से विभिन्न परंपराएं और रीति रिवाज अपनाए. कई जगहों पर स्थानीय संस्कृतियों के हिसाब से भी परंपराओं में बदलाव देखने को मिलते हैं. यहूदी धर्म में शादी मुस्लिमों की तरह एक कॉट्रैक्ट या अनुबंध होती है. इसके लिए किसी शुभ मुहूर्त की जरूरत नहीं होती है. लेकिन शादियों की ज्यादातर रस्में रविवार को पूरी की जाती हैं.
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वे गवाहों के सामने ही एक दूसरे के साथ जीवन भर रहने का वादा करते हैं.
जीवन भर साथ निभाने का वादा
दूल्हा दुल्हन जब शादी के लिए एक दूसरे को चुनते हैं तो ये काम गवाहों की मौजूदगी में किया जाता है. वे गवाहों के सामने ही एक दूसरे के साथ जीवन भर रहने का वादा करते हैं. फिर जब सगाई होती है तो एक-दूसरे को अंगूठी पहनाने की रस्म निभाई जाती है. ये बिल्कुल उसी तरह है, जैसे ईसाई धर्म में अंगूठी पहनाने की रस्म होती है.
शादी से पहले मिलते हैं दूल्हा-दुल्हन
यहूदियों में शादी से पहले मिलने की रस्म भी निभाई जाती है. जिसे योम किप्पूर विद्दुई कहा जाता है. यहूदियों में शादी को किड्डुशिन कहा जाता है. इस दौरान लड़का और लड़की मिलकर कन्फेशनल प्रार्थना में हिस्सा लेते हैं. प्रार्थना में वे पुरानी जिंदगी की सभी गलतियों की माफी मांग कर नई जिंदगी में एक दूसरे के साथ वफादार रहने की कसम खाते हैं.
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चुप्पाद उसी तरह का एक मंडप होता है जैसे हिंदू शादियों में लगाया जाता है.
मंडप भी होता है और फेरे भी
यहूदियों में शादी की रस्में जिस जगह होती हैं उसे चुप्पाह कहा जाता है. चुप्पाद उसी तरह का एक मंडप होता है जैसे हिंदू शादियों में लगाया जाता है. शादी की ज्यादातर रस्में चुप्पाह में ही होती हैं. दूल्हा और दुल्हन चुप्पाह के चारों ओर चक्कर लगाते हैं जो कि चार से सात होते हैं. सात चक्कर पूर्णता को दर्शाते है और यह अवधारणा बाइबिल से निकली है. वैदिक रीति-रिवाजों में भी सात फेरे या सप्तपदी होती है.
कब पूरी होती है शादी
इसके बाद दूल्हा और दुल्हन के बीच अंगूठी की अदला-बदली की जाती है. दूल्हा दुल्हन की दाहिनी तर्जनी पर अंगूठी रखता है. यहूदी परंपरा के अनुसार दो वैध गवाहों को उसे अंगूठी डालते हुए देखना चाहिए. फिर गवाहों की ही मौजूदगी में शादी का करारनामा पढ़ा जाता है. शादी में कॉट्रैक्ट का विचार संभवत: यहूदियों ने मुस्लिमों से लिया होगा.
गवाहों की मौजूदगी में शादी का करारनामा पढ़ा जाता है.
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मेहमानों को दिया जाता है भोज
दुल्हन को अंगूठी दिए जाने के बाद या यूं कहें कि समारोह के आखिरी में दूल्हा एक गिलास तोड़ता है फिर उसे अपने दाएं पैर से कुचलता है. इस पर मेहमान ‘मजल तोव’ शब्द का तेज उच्चारण करते हैं. यह वास्तव में हिब्रू में बधाई देना होता है. इसके बाद दूल्हे को पीने के लिए शराब का प्याला दिया जाता है और दुल्हन भी शराब पीती है. कई परंपराओं में शराब को केवल होठों से लगाने का रिवाज है. हफ्ते भर बाद मेहमानों के लिए खास भोज का इंतजाम किया जाता है, जिसे शेवा ब्रकोट कहते हैं. इसमें खास तरह का डांस किए जाने का रिवाज है.
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FIRST PUBLISHED : September 11, 2024, 19:32 IST
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