उपेंद्र तिवारी
दुद्धी के डॉक्टर लव कुश प्रजापति को साहित्य “गौरव सम्मान”, नजर मोहम्मद नजर को “शहर ए गालिब ” , अब्दुल हई को “शहर ए फिराक “, कौशल्या कुमारी चौहान को “साहित्य श्री “, दिव्या राय को “साहित्य वैभव ” यथार्थ विष्णु को “साहित्य दीप ” , जबकि दिलीप सिंह को ” साहित्य सर्जक ” सम्मान से नवाजा गया । , सोनभद्र , , सोनभद्र। साहित्यकारों से सजी महफिल शहीद स्थल प्रवंधन ट्रस्ट करारी सोनभद्र के तत्वावधान में शानदार आयोजन के बीच सोनभद्र बार एसोसिएशन सोनभद्र सभागार कचहरी परिसर में परमवीर चक्र वीर अब्दुल हमीद के बलिदान दिवस पर वरिष्ठ साहित्यकार पारसनाथ मिश्र की अध्यक्षता व मुख्य अतिथि रामनाथ शिवेंद्र के उपस्थिति में मंगलवार दोपहर मां सरस्वती व परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद की प्रतिमा पर माल्यार्पण दीपदान पश्चात ईश्वर विरागी के “वाणी वंदना मां शारदे मां शारदे मिटे ज्वाल जग जीवन से सिंचित धरा गगन उर कर दे” से विधिवत सनातन परम्परा अनुसार कार्यक्रम का आगाज हुआ। साहित्य , समाजसेवा, चिकित्सा , संगीत , शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए साहित्यकारों का सारस्वत अभिनंदन किया गया । जिसमें डाo लवकुश प्रजापति वरिष्ठ साहित्यकार दुद्धी सोनभद्र को “साहित्य गौरव”सम्मान जिसे उनके प्रतिनिधि जितेन्द्र कुमार चन्द्रवंशी ने ग्रहण किया। नजर मोहम्मद नजर वरिष्ठ शायर को “शहर ए गालिब”, अब्दुल हई वरिष्ठ शायर को “शहर ए फिराक”, कौशल्या कुमारी चौहान कवयित्री शिक्षक को ” साहित्य श्री”, दिव्या राय कवयित्री शिक्षक को “साहित्य वैभव”, यथार्थ विष्णु म्योरपुर सोनभद्र को “साहित्य दीप”, गीतकार दिलीप सिंह दीपक को “साहित्य सर्जक” सम्मान से नवाजा गया और लेखनी पुस्तिका संग्रह ,प्रशस्ति पत्र , अंगवस्त्र , प्रतीक चिह्न , नगद धनराशि देकर सम्मानित किया गया । प्रथम सत्र में वक्तव्य देते हुए रामनाथ शिवेंद्र संपादक हिंदी साहित्य पत्रिका असुविधा मुख्य अतिथि व अध्यक्षता कर रहे पारसनाथ मिश्र विशिष्ट अतिथि राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य ओमप्रकाश त्रिपाठी , विनोद चौबे एडवोकेट , बार अध्यक्ष पूनम सिंह एडवोकेट , सुरेन्द्र कुमार पांडेय एड,अजय चतुर्वेदी कक्का , वरिष्ठ साहित्यकार ने परमवीर अब्दुल हमीद के बलिदान दिवस पर राष्ट्राभिनंदन करते हुए हमीद के सर्वोच्च बलिदान को नमन कर देश हित में सदैव तत्पर रहने की नसीहत दिये। सम्मान समारोह शहीद स्थल के कार्यों का मूल्यांकन कर निरंतर प्रयास की सराहना करते हुए सम्मानित हुए कवि कवयित्रियों को बधाई दिये।
दूसरे सत्र में काव्य गोष्ठी आयोजित की गई जिसमें विरागी ने,”थाम लेंगे वक्त को चलने न देंगे” सुनाकर कालजयी कवि को नमन किया।नज़र साहब ने,”एक नजर देख ले तेरा जाता क्या है रेत पर लिखता मिटाता क्या है “, गंभीर शायरी सुनाया और सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।अब्दुल हई ने,”उधर से गुजरा तो झुक कर मिला हिमाला भी,सलीका प्यार का किसने सिखा दिया” उसकोसुनाकर आशा वादी जीवन का मूल्यांकन कर विनम्रता सदभाव की बात किये। डॉक्टर लवकुश प्रजापति के प्रतिनिधि जितेन्द्र कुमार चन्द्रवंशी ने “तीसी सरसों के फूलों का पांव में पाजेब लिए , आमों के मजरी का करधन , रहा पुष्प का हार लिए, थाप मारकर सुरमादा पर नाच रहीं थीं सोनचिरय्या ” सुनाकर उपस्थिति का रचना से एहसास कराया। दिवाकर द्विवेदी मेघ ने ,”आदमी के पास से अब जा रहा है आदमी ” सुनाया और इंसानियत की बात किये।
कौशल्या कुमारी चौहान ने “मुझको अबला मत समझो मैं झांसी वाली रानी हूं ” सुनाकर श्रोताओं को नारी सशक्तीकरण का संकल्प दुहराया। दिव्या राय ने “मत रोक सांवरिया घूंघट में मुझे नींल गगन तक जाने दें।” सुनाया और नारी शक्ति की उड़ान को रेखांकित किया । आयोजक प्रदुम्न त्रिपाठीएड निदेशक शहीद स्थल प्रवंधन ट्रस्ट करारी सोनभद्र ने,”देश का गौरव नहीं झुकेगा मां सौगंध तुम्हारी है,तेरे सुवन निडर हम माता मौत भी जिनसे हारी है” सुनाकर राष्ट्र अनुराग जगाया वंदेमातरम् जयहिंद के जयकारे बार बार लगते रहे ।वहीं ओज के सशक्त हस्ताक्षर प्रभात सिंह चंदेल ने वीर सैनिक की पाती कविता सुनाकर सबकी आंखें नम कर दिये। धर्मेश चौहान एडवोकेट शायर जुल्फेकार हैदर खां राकेश शरण मिस्र नोटरी एडवोकेट सोन साहित्य संगम,यथार्थ विष्णु जै राम सोनी दयानंद दयालू सुधाकर स्वदेशप्रेम मदन चौबे आदि साहित्यकारों ने वीर रस हास्य व्यंग ओज श्रृंगार गीत गजल मुक्तक छंद सवैया सुनाकर वाहवाही लूटते रहे और आयोजन देर शाम तक चलता रहा।सफल संचालन गीतकार दिलीप सिंह दीपक ने किया स्वागत भाषण संयोजक जुल्फेकार हैदर खां ने व्यक्त किया आभार आयोजक प्रदुम्न तिवारी एड ने व्यक्त किए।इस अवसर पर राजेश पाठक एडवोकेट आत्मप्रकाश तिवारी एडवोकेट जयशंकर त्रिपाठी एड देवानंद पांडेय एड रिषभ शिवमोचन फारुख अली ठाकुर कुशवाहा पुरुषोत्तम बृजकिशोर देव शिखा आद्या आदि सैकड़ों वादकारी अधिवक्ता गण देर शाम तक जमे रहे।