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जमशेदपुर अस्पताल में गर्भवती महिला को 27 घंटों तक इलाज ना मिलने की घटना को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने झारखंड सरकार को नोटिस जारी किया है। साथ ही आयोग ने सरकार से एक हफ्ते में इस मामले में जवाब मांगा है।
आयोग ने यह नोटिस मीडिया में आई उन खबरों पर संज्ञान लेते हुए दिया है, जिसमें कहा गया था कि प्रसव पीड़ा से पीड़ित इस गर्भवती महिला को जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में लगभग 27 घंटे तक भर्ती नहीं किया गया, जबकि उसे बेहतर चिकित्सा देखभाल के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र द्वारा रेफर किया गया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक अस्पताल में बिस्तर उपलब्ध नहीं होने के कारण उसे फर्श पर ही लेटना पड़ा था, साथ ही कोई इलाज ना मिलने के कारण अगले दिन गर्भ में ही उसके बच्चे की मौत हो गई थी। एनएचआरसी ने यह भी बताया कि अस्पताल में इलाज कराने आई एक अन्य गर्भवती महिला का इलाज भी फर्श पर किया गया था, हालांकि वो बच्चे को जन्म देने में सफल रही थी।
आयोग की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि अगर मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आई जानकारियां यदि सही हैं तो यह मानवाधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मुद्दा है। इसलिए आयोग ने इस मामले में झारखंड सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
बयान में आगे बताया गया है कि एनएचआरसी ने रिपोर्ट में पीड़ित महिला के स्वास्थ्य की स्थिति, राज्य के सरकारी अस्पतालों में बिस्तरों की उपलब्धता के साथ-साथ अन्य सुविधाओं के बारे में भी पूछा है। साथ ही रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख करने के लिए भी कहा गया है कि अधिकारियों द्वारा पीड़ित परिवार को कोई मुआवजा दिया गया है या नहीं।
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