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मध्य प्रदेश के इंदौर में डॉक्टरों ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है। इंदौर में ब्लड कैंसर से जूझ रही 22 साल की महिला ने एक सरकारी अस्पताल में जुड़वां बच्चों को जन्म दिया है। डॉक्टर ने बताया कि दोनों बच्चे स्वस्थ्य हैं। डॉक्टर इसे मेडिकल फील्ड का रेयर केस बता रहे हैं, क्योंकि महिला को क्रोनिक माइलॉयड ल्यूकेमिया नामक जानलेवा ब्लड कैंसर है। ऐसे में उसका सफलतापूर्वक बच्चों को जन्म देना विज्ञान के लिए भी चमत्कार से कम नहीं है।
इस जानलेवा बीमारी से जूझ रही थी महिला
शासकीय सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के खून से जुड़ी बीमारियों के विभाग के सहायक प्रोफेसर अक्षय लाहोटी ने सोमवार को पीटीआई-भाषा से बातचीत में बताया कि प्रसूता जानलेवा कैंसर की बीमारी से जूझ रही है। उसे क्रोनिक माइलॉयड ल्यूकेमिया नाम का जानलेवा ब्लड कैंसर है। ऐसे में इतनी खतरनाक हालत में सुरक्षित डिलीवरी कराना खतरों से खाली नहीं था। सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के चिकित्सकों के मुताबिक दुनिया भर में “क्रोनिक माइलॉयड ल्यूकेमिया” से पीड़ित महिलाओं के सुरक्षित प्रसव के बहुत ज्यादा मामले सामने नहीं आए हैं।
सामान्य दवाइयों से था जान को खतरा, निकाला उपाय
सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल शहर के शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय से जुड़ा हुआ है। लाहोटी ने बताया कि महिला जब गर्भवती होने के बाद हमारे अस्पताल में भर्ती हुई तब उसके शरीर में श्वेत रक्त कोशिकाओं (डब्ल्यूबीसी) की संख्या सामान्य स्तर से कई गुना ज्यादा थी। इसलिए हम गर्भावस्था के दौरान उसे कैंसर की सामान्य दवाइयां और कीमोथेरेपी नहीं दे सकते थे। उन्होंने बताया कि इन हालात के मद्देनजर देश-विदेश के जानकारों से राय-मशविरे के बाद महिला को खास दवाएं दी गईं ताकि मरीज और उसकी कोख में पल रहे जुड़वां बच्चों की सेहत को कोई नुकसान न हो।
डिलीवरी तक कैंसर से अनजान रही महिला
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सुमित्रा यादव ने बताया कि बच्चों को जन्म देने से पहले महिला को नहीं बताया गया था कि उसे रक्त कैंसर है। हम चाहते थे कि गर्भावस्था के दौरान उसकी मानसिक सेहत एकदम ठीक रहे। उन्होंने बताया कि इस महिला ने सामान्य तरीके से एक लड़के और एक लड़की को जन्म दिया और फिलहाल जच्चा और उसके जुड़वां बच्चे, तीनों स्वस्थ हैं। यादव ने बताया कि यह महिला पहली बार मां बनी है और जुड़वां बच्चों की किलकारियों से उसके परिवार में जश्न का माहौल है।
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