[ad_1]
हमारे गांव से मुक्तिधाम तक पहुंचने की दूरी चार किमी है। हमें दो गांवों से होकर शवयात्रा ले जाना पड़ती है। हमारे गांव में 150 मीटर ऊंचा पहाड़ है, अगर उसे पार कर जाते हैं तो मुक्तिधाम सिर्फ एक किमी की दूरी पर आता है। सरपंच को मौखिक शिकायत कर रास्ते की मा
.
भास्कर इसकी हकीकत जानने ग्राउंड पर पहुंचा तो देखा कि 25 से 30 लोग 150 मीटर ऊंचा पहाड़ काटकर रास्ता बना रहे हैं। वहां पर श्रमदान करने वाले ग्रामीण शांतिलाल, दयाराम, रतनसिंह व टीकाराम ने बताया हमारे गांव के फलियों में पहुंचने का रास्ता नहीं है। खेतों में बने पगडंडी वाले रास्ते से आना-जाना करते हैं।
सबसे ज्यादा परेशानी किसी की मौत होने पर अंतिम संस्कार करने में आती है। हमारे गांव से मुक्तिधाम की दूरी चार किमी दूर है। बीच में 150 मीटर ऊंचा पहाड़ आता है। उसे पार करने पर मुक्तिधाम सिर्फ एक किमी दूरी तय करने पर आ जाता है, इसलिए हम सभी फलिये के लोग मिलकर पहाड़ काटकर रास्ता बना रहे हैं। एक माह में हमारी मेहनत रंग लाएगी और मुक्तिधाम तक पहुंचने का रास्ता बनकर तैयार हो जाएगा।
किसी ने आवेदन देकर नहीं की शिकायत : सचिव
वरल्यापानी के ग्रामीणों ने अब तक पहुंच मार्ग की शिकायत आवेदन देकर नहीं की है। वहां तक पहुंचने के लिए रास्ता किसानों के खेतों से होकर गुजरता है। पहुंच मार्ग बनाने के लिए किसानों से सहमति लेकर प्रयास करेंगे। सब इंजीनियर के साथ मौके की स्थिति देखकर वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराएंगे।-श्याम खोटे, सचिव, ग्राम पंचायत कानपुरी
दो गांव से होकर पहुंचते हैं मुक्तिधाम ग्रामीणों ने बताया कानपुरी पंचायत में आने वाले ग्राम वरल्यापानी में खरत्या, नवाड़, पटेल व सस्तया फलिया में 1100 लोग रहते हैं। यहां पर मुक्तिधाम नहीं होने से उन्हें चार किमी दूर ग्राम मोगरीखेड़ा में परिजन का अंतिम संस्कार करने के लिए शवयात्रा ले जाना पड़ती है। इसके लिए उन्हें वरल्यापानी से पुरुषखेड़ा व कुसम्या होकर मोगरीखेड़ा पहुंचना पड़ता है। पहाड़ कट जाने के बाद रास्ता बन जाने से तीन किमी की दूरी कम हो जाएगी।
[ad_2]
Source link