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छत्तीसगढ़ के बाद अब मध्य प्रदेश में भी स्वाइन फ्लू का कहर शुरू हो गया है। यहां के इंदौर जिले में स्वाइन फ्लू से एक प्रोफेसर की मौत हो गई। प्रोफेसर पिछले कई दिनों से बीमार थे और कुछ दिन पहले ही मेक्सिको के प्रोफेसर से मिले थे। इंदौर में प्रोफेसर की स्वाइन फ्लू से मौत के बाद से हड़कंप मच गया है। मध्य प्रदेश के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में स्वाइन फ्लू ने पहले ही कहर ढाया हुआ है। छत्तीसगढ़ में अब तक स्वाइन फ्लू से 17 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि यह इंदौर शहर में स्वाइन फ्लू से मौत का पहला मामला है।
डॉ. विजय बाबू गुप्ता जो एक विश्वविद्यालय में डाटा साइंस विभाग के एचओडी थे। उनका हफ्तेभर से सुयश अस्पताल में इलाज चल रहा था। डॉक्टर के साथ उनकी पत्नी और बेटी भी संक्रमित थीं, जिन्हें दो दिन पहले ही छुट्टी मिली है और वो अब भी एकांतवास में हैं। बताया जा रहा है कि 23-24 अगस्त को विश्वविद्यालय में आयोजित बिजनेस इंटेलिजेंस, कम्प्यूटेशनल गणित और डाटा एनालिटिक्स पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में मैक्सिको से आए एक प्रोफेसर से डॉ. गुप्ता ने मुलाकात की थी। प्रोफेसर से मुलाकात के बाद वो सर्दी, खांसी और फ्लू के शिकार हो गए। जांच में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हो गई थी। उन्हें स्वाइन फ्लू के साथ स्लीप एपनिया और हाइपरटेंशन सहित अन्य बीमारियां भी थीं। उनकी हालत इतनी खराब हो गई कि तीन दिन पूर्व उन्हें वेंटीलेटर पर रखना पड़ा। परिवार में पत्नी के अलावा दो बेटियां हैं। शनिवार दोपहर उन्होंने स्वाइन फ्लू के चलते अंतिम सांस ले ली। इंदौर में स्वाइन फ्लू से मौत का ये पहला मामला है।
साथियों में बढ़ी चिंता, कई आइसोलेट
स्वाइन फ्लू से एचओडी डॉ. विजय बाबू गुप्ता की मौत होने से प्रोफेसर सहित अन्य स्टाफ की भी चिंताएं बढ़ गई हैं। खासकर उनकी जो सम्मेलन के दौरान और बाद में इनसे मिले थे। कई लोगों ने खुद को आइसोलेट भी कर लिया है। कई लोग जांच करवाने के लिए अस्पताल की तरफ पहुंच रहे हैं।
इस साल 13 मरीज
जनवरी से अब तक इंदौर में कुल 13 स्वाइन फ्लू पॉजिटिव मरीज मिले हैं। अच्छी बात ये है कि सिर्फ तीन ही एक्टिव हैं, जिनका उपचार जारी है। इस मामले पर बात करते हुए जिला महामारी विज्ञानी डॉ. अंशुल मिश्रा ने कहा कि अगर किसी को सर्दी और तेज बुखार जैसी शिकायतें हों तो उन्हें तुरंत इलाज करवा लेना चाहिए। स्वाइन फ्लू को एच1एन1 इन्फ्लुएंजा वायरस के रूप में भी जाना जाता है। स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए नियमित रूप से फ्लू का टीका लगवाना चाहिए।
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