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मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने छतरपुर की घटना के बहाने प्रशासन पर आतंक फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि इस मामले में पुलिस और प्रशासन के आचरण की न्यायिक जांच कराई जाए।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सिंह ने शनिवार को विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों के साथ संवाददाताओं से चर्चा की। इस दौरान मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।
सिंह ने कहा कि छतरपुर की घटना के मामले में विपक्षी दलों का छह दलीय जांच दल बनाया गया था, जिसने अपनी रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि छतरपुर में थाने के घेराव की 21 अगस्त की घटना में प्रशासन ने अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के साथ गैर जिम्मेदाराना व्यवहार किया। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पुलिस और प्रशासन के इस आचरण की न्यायिक जांच कराई जाए।
उन्होंने आरोप लगाया कि अल्पसंख्यक समुदाय के साथ पुलिस आतंक भरा व्यवहार करती है। इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने बुलडोजर संस्कृति को भी निशाने पर लेते हुए कहा कि प्रशासन पूरी तरह से अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी को दरकिनार कर साम्प्रदायिक मानसिकता के अनुसार काम कर रहा था।
उन्होंने मांग की कि छतरपुर में पुलिस थाने पर हुई घटना की समग्रता से न्यायिक जांच की जाए, जिसमें पुलिस की भूमिका भी शामिल है। साथ ही उन्होंने कहा कि छतरपुर सहित जहां जहां भी बुलडोजर चला है, वहां पीड़ितों को मुआवजा दिया जाए।
छतरपुर में 21 अगस्त को एक मामले को लेकर थाने पहुंची भीड़ ने न केवल थाने का घेराव कर दिया था, बल्कि भीड़ के पथराव में कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हो गए थे। इस मामले में मुख्य आरोपी और कांग्रेस के स्थानीय नेता हाजी शहजाद अली के अवैध निर्माण को प्रशासन ने बुलडोजर से जमींदोज कर दिया था। पुलिस अब तक इस संबंध में लगभग चार दर्जन आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है।
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