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History of Brunei : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रुनेई की यात्रा पर गए तो इस देश की काफी चर्चा होने लगी. सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की भी है कि यह देश किसी से इनकम टैक्स नहीं लेता, फिर भी इसकी अर्थव्यवस्था चलती है. यहां के सुल्तान हसनल बोल्किया तो अपने बाल कटवाने पर ही 16 लाख रुपये खर्च कर देते हैं. बाल काटने के लिए महीने में 2 बार प्राइवेट चार्टर्ड प्लेन से एक्सपर्ट आते हैं. क्या आपको पता है, यह देश कभी बौद्ध लोगों का हुआ करता था, लेकिन अब ब्रुनेई इस्लामिक देश बन गया. यहां की अगर अभी की आबादी देखें तो 82.1 फीसदी मुस्लिम रहते हैं. 6.3 फीसदी बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं.
राजा ने अपना लिया था इस्लाम
आंकड़ों की मानें तो ब्रुनेई की आबादी 4 लाख के पार है. यहां लगातार जनसंख्या घट रही है. ब्रुनेई पहले बौद्ध देश हुआ करता था, इसे इस्लामी बने करीब 500 साल हो गए. इस्लामिक देश बनने से पहले ब्रुनेई में हिंदू और बौद्ध समुदाय के लोग रहा करते थे. यह दक्षिण पूर्व एशिया में एक प्रमुख बौद्ध राज्य हुआ करता था. पुरातात्विक साक्ष्य भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि यहां विभिन्न जातीय समूहों के लोग रहा करते थे. माना जाता है कि ब्रुनेई का नाम संस्कृत शब्द वरुण से लिया गया है, जिसका अर्थ है नाविक है. ब्रुनेई में इस्लाम का आगमन 14वीं शताब्दी में शुरू हुआ, जब यहां अरब द्वीप और भारत के मुस्लिम व्यापारियों ने व्यापार शुरू किया. 1515 में ब्रुनेई के बौद्ध राजा अवांग अलक बेटाटर ने इस्लाम धर्म अपना लिया. उसने खुद का नाम सुल्तान मुहम्मद रख लिया. बाद में धीरे-धीरे यह मुस्लिम देश बन गया. 16वीं शताब्दी तक जैसे-जैसे शासक राजवंश इस्लाम में मजबूती से स्थापित हो गया, आबादी ने अपना धर्म बदलना शुरू कर दिया. 1959 में ब्रुनेई के संविधान में धर्म के रूप में इस्लाम की घोषणा हुई.
शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं मुफ्त, टैक्स नहीं लिया जाता
ब्रुनेई में किसी से भी इनकम टैक्स नहीं लिया जाता है. यहां की अर्थव्यवस्था तेल से चलती है, यहां पर 1929 में तेल की खोज हुई. तेल और प्राकृतिक गैस भंडार की वजह से इसे काफी फायदा होने लगा. ब्रुनेई में प्रति व्यक्ति आय भी 28 लाख रुपये है, जबकि भारत में आय करीब 1 लाख 84 हजार रुपये है. यहां शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं मुफ्त मिलती हैं. यहां पर्सनल इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगता.
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