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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कथित शराब घोटाले में सीबीआई की गिरफ्तारी को चुनौती और जमानत के लिए केजरीवाल की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि जमानत के मामलों में कितनी देर सुनवाई करनी चाहिए, क्या आम आदमी को इतना समय मिलता है?
केजरीवाल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने करीब एक घंटे तक अपनी दलीलें पेश कीं। बार एंड बेंच के मुताबिक, जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, ‘हम दोनों पक्षों को सुनेंगे। लेकिन हम सोच रहे हैं कि हमें जमानत मामले में कब तक सुनवाई करनी चाहिए, क्या सामान्य लोगों को इतना समय मिलता है?’ इस पर सीबीआई की ओर से पेश हुए एएसजी एसवी राजू ने कहा कि जिनता टाइम याचिकाकर्ता को दिया गया है कम से कम उतना ही जांच एजेंसी को भी मिलना चाहिए। सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि वह 12 बजे तक अपना बात खत्म करेंगे ताकि लंच तक सुनवाई पूरी हो सके।
अभिषेक मनु सिंघवी ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच के सामने कहा कि केजरीवाल का नाम सीबीआई की एफआईआर में नहीं है और इसके अलावा उनके भागने का खतरा भी नहीं है। सिंघवी ने कहा कि शीर्ष अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत देते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री समाज के लिए खतरा नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘अगस्त 2023 में जो शुरू हुआ, वह इस साल मार्च में धनशोधन मामले में गिरफ्तारी का कारण बना।’ सिंघवी ने कहा कि शीर्ष अदालत और एक अधीनस्थ अदालत ने पहले ही उन्हें जमानत दे दी है।
केजरीवाल को सीबीआई ने 25 जून को गिरफ्तार किया था। उन्हें ईडी केस में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। लेकिन सीबीआई केस में गिरफ्तारी की वजह से जमानत नहीं हो पाई थी। अरविंद केजरीवाल को कथित शराब घोटाले में लगे आरोपों की वजह से 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था। जांच एजेंसियों ने उन्हें कथित घोटाले का मास्टरमाइंड बताया है।
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