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जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होने वाले हैं। इसके बाद महाराष्ट्र और झारखंड में इस साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव होगा। बीजेपी इन सभी राज्यों के लिए कमर कस चुकी है और खास रणनीति बनाई है।विधानसभा चुनाव में बीजेपी युवा और गैर-राजनीतिक परिवारों के नए चेहरों को टिकट दे सकती है। पीएम मोदी ने पिछले दिनों ऐसी अपील की थी। स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने जातिवाद और वंशवाद की राजनीति को समाप्त करने के लिए राजनीति में नए खून को लाने की आवश्यकता पर जोर दिया था। हालांकि 2014 से ही बीजेपी ने 30-33% मौजूदा उम्मीदवारों को हटाकर नए चेहरों को टिकट देने की प्रथा का पालन किया है, लेकिन महाराष्ट्र और झारखंड वाले राज्यों के नेताओं ने कहा कि अब प्रधानमंत्री के निर्देश का पालन करने के लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं।
बीजेपी के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी ने कहा, “महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड जैसे राज्यों में पार्टी में नए लोगों को शामिल करने के प्रधानमंत्री के निर्देश को लागू किया जाएगा।” पदाधिकारी ने कहा कि संभावना है कि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में पुराने और अनुभवी चेहरे युवा चेहरों से अधिक संख्या में होंगे, जहां 18 सितंबर से चुनाव होने हैं। जम्मू-कश्मीर में जहां एक दशक के बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, पार्टी ने पूर्व उप-मुख्यमंत्री निर्मल सिंह और कविंदर गुप्ता जैसे पुराने नेताओं को टिकट नहीं दिया।
इसके अलावा, हरियाणा में पांच अक्टूबर को चुनाव होने वाले हैं और यहां बीजेपी 10 साल तक सत्ता में रहने के बाद सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है। जाति, आरक्षण और शासन में कमी की शिकायतों से जुड़े मुद्दे बीजेपी के लिए चुनौती बनकर उभरा है। जननायक जनता पार्टी के साथ गठबंधन टूटने के बाद, भाजपा के पास राज्य में कोई मजबूत सहयोगी नहीं है। बीजेपी नेता ने बताया कि हरियाणा में नेतृत्व ने संभावित उम्मीदवारों के बारे में कार्यकर्ताओं से फीडबैक मांगा है। जातिगत समीकरणों, आयु समूहों और विभिन्न वर्गों में उनकी लोकप्रियता को देखते हुए सबसे उपयुक्त उम्मीदवारों की सूची तैयार करने के लिए सर्वेक्षण और चर्चाएं की गईं। जल्द ही सूचियों की घोषणा की जाएगी।
बीजेपी नेता ने संकेत दिया कि पार्टी विपक्षी गठबंधन के आकार लेने और उम्मीदवारों की सूची की घोषणा का इंतजार कर रही है ताकि वह एक ‘मजबूत प्रतिद्वंद्वी’ खड़ा कर सके। नए चेहरों को मैदान में उतारने के फैसले से पार्टी को सत्ता विरोधी लहर से निपटने में मदद मिलेगी। नेता ने कहा, “हालांकि एक नया सीएम है (इस साल की शुरुआत में मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को लाया गया था), लेकिन विधायकों के एक समूह के खिलाफ जमीन पर नाराजगी है।” नेता ने बताया कि 2019 में पार्टी 90 सदस्यीय सदन में बहुमत हासिल करने से चूक गई और उसे सरकार बनाने के लिए जेजेपी पर निर्भर रहना पड़ा। उन्होंने कहा, “पार्टी हर जाति, जाट, ओबीसी और अन्य समुदायों से प्रतिनिधित्व के लिए युवा चेहरों की तलाश में थी।”
बता दें कि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र और झारखंड में इस साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इन दो राज्यों के लिए भी पार्टी फिर से युवा नेताओं की पहचान करने और उन्हें प्रशिक्षित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। महाराष्ट्र के एक पदाधिकारी ने कहा, “युवा मोर्चा, अल्पसंख्यक और महिला मोर्चा जैसे विभिन्न मोर्चों के माध्यम से किए गए हमारे आउटरीच कार्य ने हमें ऐसे लोगों से जुड़ने में मदद की जो पेशेवर, उद्यमी और यहां तक कि छात्र भी हैं, जिनका राजनीति से कुछ या बहुत कम संपर्क है। इनमें से कुछ लोग अब विकास के एजेंडे और विकसित भारत अभियान से प्रेरित हैं, हम इनमें से कुछ लोगों को मंच देंगे।” बता दें कि 2019 में, बीजेपी ने 288 में से 164 सीटों पर चुनाव लड़ा और 105 पर जीत हासिल की (उसकी तत्कालीन सहयोगी अविभाजित शिवसेना ने 126 सीटों पर चुनाव लड़ा था।)
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