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दिल्ली में 100 वर्गमीटर से अधिक क्षेत्रफल वाली जमीन पर बनी इमारतों को बगैर वर्षा जल संचयन लगाए (Rain Water Harvesting) उन्हें ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट (व्यावसाय प्रमाण पत्र) नहीं मिलेगा।दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग के इंटीग्रेटेड ड्रेन मैनेजमेंट सेल (आईडीएमसी) की बैठक में सभी नगर निकायों एमसीडी, एनडीएमसी और दिल्ली कैंट बोर्ड को आदेश दिया है। राजधानी में गिरते भूजल स्तर को बढ़ाने के साथ-साथ निचले इलाकों में जलभराव की समस्या को खत्म करने के लिए यह फैसला किया गया है।
कार्ययोजना उपलब्ध कराने के निर्देश बीते दिनों मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई आईडीएमसी की बैठक में वर्षा जल संचयन को लेकर चर्चा हुई। इसमें सभी नगर निकायों को निर्देश दिया गया है कि वर्षा जल संचयन की व्यवस्था नहीं करने वाली इमारतों को ओसी जारी न किया जाए। साथ ही वर्तमान में जिन इमारतों में वर्षा जल संचयन लगा हुआ है, उसकी जांच कर एक स्टेट्स रिपोर्ट और बंद होने पर उसे चालू करने की कार्ययोजना 30 सितंबर आईडीएमसी में उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया है।
बैठक में दिल्ली जल बोर्ड द्वारा वर्षा जल संचयन के लिए चिन्हित 33 निचले इलाकों पिट्स बनाने को लेकर भी चर्चा हुई है। इसमें बताया गया कि वहां की प्रगति रिपोर्ट अच्छी नहीं है। सभी विभागों को निर्देश दिया गया है, निचले इलाके जिसके भी हिस्से में आता है वह उसकी कार्ययोजना बनाएं।
सालाना छह लाख एमएलडी पानी बचा सकते हैं
विशेषज्ञों की मानें तो अगर 115.4 मिलीमीटर बारिश होती है तो हम वर्षा जल संचयन के जरिये 87 हजार एमएलडी पानी बचा सकते हैं। दिल्ली में सामान्य तौर पर हर साल 779 मिलीमीटर बारिश होती है। इस तरह हम हर साल वर्षा जल संचयन के जरिये 6.09 लाख एमएलडी से अधिक पानी बचाकर भूजल स्तर को बढ़ा सकते हैं। दिल्ली में हर साल हम पानी की मांग को पूरा करने के लिए 126 एमजीडी पानी का इस्तेमाल करते हैं। भूजल दोहन का नतीजा है कि दिल्ली में हर साल 0.67 मीटर भूजल स्तर नीचे जा रहा है।
आईडीएमसी की बैठक में मिले निर्देश
● स्थानीय निकाय बिना वर्षा जल संचयन वाली इमारतों को व्यवसाय प्रमाण पत्र न दें
● मौजूदा सरकारी और निजी इमारतों में पिट्स पर काम करें
● जल बोर्ड द्वारा चिन्हित 33 निचले इलाकों में जल संचयन लगाने की प्रक्रिया तेज की जाए
● मौजूदा वर्षा जल संचयन चालू है या नहीं उसकी स्टेट्स रिपोर्ट 30 सितंबर तक जमा की जाए
● वन विभाग, सभी भू-स्वामी वाले विभाग भी अपने यहां निचले इलाकों को चिन्हित करें
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