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झारखंड के जमशेदपुर में एमजीएम अस्पताल में प्रसव पीड़ा से तड़पती गर्भवती को बेड नहीं मिला। वह 27 घंटे तक फर्श पर पड़ी रही। शुक्रवार को महिला के पति ने अधीक्षक से इसको लेकर शिकायत की। उसने बताया कि उनकी पत्नी के पेट में पल रहे बच्चे की गुरुवार को मौत हो गई। इसके बाद भी 27 घंटे तक महिला को न बेड दिया गया और न ही बच्चे को निकाला गया।
तुरामडीह की गर्भवती पूनम को प्रसव पीड़ा हो रही थी। इसपर उनके पति ने गुरुवार सुबह करीब सात बजे एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया। इसके बाद उन्हें वार्ड में नीचे फर्श पर सुला दिया गया। पूनम के पति आर्यन ने बताया कि काफी कहने के बाद उन्हें डॉक्टरों ने देखा और जांच के बाद दस बजे बताया कि बच्चे की धड़कन नहीं चल रही है और बच्चा पेट में मर गया है।
इसके बाद आर्यन ने बच्चे को निकालने और पत्नी को बचाने की गुहार लगाई। लेकिन गुरुवार को महिला को न बेड दिया गया न ही पेट से बच्चे को निकला गया।
शुक्रवार सुबह तक इंतजार के बाद उन्होंने अधीक्षक डॉ. रवीन्द्र कुमार से शिकायत की। इसके बाद महिला को बेड दिया गया। वहीं, दोपहर में ऑपरेशन कर बच्चे को निकाला गया। महिला डॉक्टर डॉ. वीणा सिंह ने बताया कि गर्भ में बच्चे की मौत बाद भी इंतजार करते हैं कि नॉर्मल डिलीवरी हो जाए।
करीब एक सप्ताह तक इंतजार किया जा सकता है। संभावना नहीं दिखने पर ऑपरेशन किया जाता है। अधीक्षक ने बताया कि जानकारी के बाद बेड उपलब्ध करा दिया गया।
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